सीतापुर। परिषदीय विद्यालय के करीब 10 हजार शिक्षकों के शैक्षिक प्रपत्रों
की जांच होगी। इसके जरिए फर्जी शिक्षकों को पकड़ा जाएगा। इस जांच के दायरे
में वर्ष-2010 के बाद भर्ती हुए शिक्षक आएंगे। इसके लिए डीएम, एसपी व
मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक की संयुक्त टीम जांच करेंगी।
इस जांच में उनके शैक्षिक प्रपत्र के अलावा जाति, निवास, आरक्षित प्रमाणपत्र व पुलिस सत्यापन जांचा जाएगा। इस पर बीएसए ने सभी बीईओ से एक सप्ताह के अंदर दस्तावेजों की जानकारी मांगीं है। परिषदीय विद्यालयों में बीते दिनों कई फर्जी शिक्षक मिले हैं। ये लोग फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी कर रहे थे।
इसकी तमाम शिकायतें शासन स्तर को मिल रही थी। इस पर शासन ने शिक्षकों की जांच कराने का निर्णय लिया है। यह जांच 2010 के बाद हुई शिक्षक भर्ती की होगी। जिसमें 10,800, 10,000, 15000, 29334, 72825, उर्दू मोअल्लिम 107, 12460, 16448, 68500 शिक्षक भर्ती शामिल है।
इन भर्ती के जरिए नियुक्ति हुए शिक्षकों के नियुक्ति पत्र, टीईटी अंकपत्र व प्रमाणपत्र, विशेष आरक्षण के तहत प्रस्तुत प्रमाणपत्र, जाति व निवास प्रमाणपत्र, पैनकार्ड, टीसी कक्षा पांच व आठ, बैंक पासबुक, आधारकार्ड आदि प्रपत्र की गहनता से जांच कराई जाएगी। इसके लिए टीम गठित कर दी गई है।
जांच टीम में जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक व मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक शामिल होंगे। बीएसए ने सभी बीईओ से एक सप्ताह के अंदर इन शिक्षकों के शैक्षिक दस्तावेज मांगें है। इसके बाद बीएसए सीधे जिलाधिकारी को दस्तावेज सौंप देंगे। उसके बाद जांच प्रक्रिया शुरु हो जाएगी।
मिल सकते हैं तमाम फर्जी शिक्षक
विभागीय जानकारों का कहना है कि अगर यह जांच गहनता से हो जाए तो कई फर्जी शिक्षक इसमें पकड़े जा सकते हैं। बहुत से शिक्षकों ने फर्जी प्रपत्र बनवाकर नौकरी हथिया ली है। इस समय वह मोटी पगार पा रहे है। खासकर एक विशेष वर्ग की भर्ती में तो बहुत ही गड़बड़झाला मिलेगा। इसमें लोगों ने डिग्री हासिल नहीं की बल्कि खरीदी है। इनके सत्यापन में भी गड़बड़िया सामने आ चुकी हैं।
इन बिंदुओं पर होनी चाहिए जांच
विभागीय जानकारों का कहना है कि कई ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने डिग्री फर्जी तरीके से हासिल की है। वहीं जब प्रमाणपत्र सत्यापन के लिए विश्वविद्यालय पहुंचा तो वहां से भी सही रिपोर्ट लगवा ली है। जांच टीम विवि की रिपोर्ट देखेगा।
अगर नए सिरे से जांच टीम विश्वविद्यालयों से सत्यापन मांग लेगी तो जरुर फर्जी शिक्षक पकड़ में आएंगे। अगर प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं कराया गया तो फर्जी शिक्षकों को तलाशना जांच टीम के लिए मुसीबत वाला होगा।
जांच टीमें को आएगी परेशानी
एक साथ करीब 10 हजार शिक्षकों की जांच करना कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए रणनीति बनाई जा रही है कि शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर शिकायतें मांग ली जाए। जितनी शिकायतें आ जाएगी उन्हीं शिक्षकों की जांच करा ली जाए। हालांकि इस पर अभी कोई निर्णय नहीं हो सका है। यह फैसला जांच टीम ही लेगी।
जिले में मिल चुके दो फर्जी शिक्षक
जिले में दो शिक्षक दूसरे के दस्तावेजों पर नौकरी कर रहे थे। यह मामला एसटीएफ से हुई शिकायत में खुला था। गोरखपुर जिले के बड़हलगंज ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय खोहिया पट्टी में तैनात शिक्षक अभयलाल यादव ने एसटीएफ से अपने प्रपत्र पर अन्य शिक्षकों के नौकरी करने की शिकायत की थी।
एसटीएफ ने जांच शुरु की तो महमूदाबाद के पलियाकलां व रामपुर मथुरा ब्लॉक के गंगापुरवा स्कूल में अभयलाल यादव के नाम से दो शिक्षक नौकरी कर रहे थे। इस पर बीएसए ने करीब एक माह पहले इन दोनो जालसाज शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया था। यह शिक्षक शिकायत होते ही फरार हो गए थे।
मांगे गए है दस्तावेज
शिक्षकों की जांच के लिए बीईओ से दस्तावेज मांगें गए हैं। इन दस्तावेजों को जिलाधिकारी को सौंप दिया जाएगा। डीएम स्तर से ही जांच प्रक्रिया होगी।
-अजय कुमार, बीएसए
इस जांच में उनके शैक्षिक प्रपत्र के अलावा जाति, निवास, आरक्षित प्रमाणपत्र व पुलिस सत्यापन जांचा जाएगा। इस पर बीएसए ने सभी बीईओ से एक सप्ताह के अंदर दस्तावेजों की जानकारी मांगीं है। परिषदीय विद्यालयों में बीते दिनों कई फर्जी शिक्षक मिले हैं। ये लोग फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी कर रहे थे।
इसकी तमाम शिकायतें शासन स्तर को मिल रही थी। इस पर शासन ने शिक्षकों की जांच कराने का निर्णय लिया है। यह जांच 2010 के बाद हुई शिक्षक भर्ती की होगी। जिसमें 10,800, 10,000, 15000, 29334, 72825, उर्दू मोअल्लिम 107, 12460, 16448, 68500 शिक्षक भर्ती शामिल है।
इन भर्ती के जरिए नियुक्ति हुए शिक्षकों के नियुक्ति पत्र, टीईटी अंकपत्र व प्रमाणपत्र, विशेष आरक्षण के तहत प्रस्तुत प्रमाणपत्र, जाति व निवास प्रमाणपत्र, पैनकार्ड, टीसी कक्षा पांच व आठ, बैंक पासबुक, आधारकार्ड आदि प्रपत्र की गहनता से जांच कराई जाएगी। इसके लिए टीम गठित कर दी गई है।
जांच टीम में जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक व मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक शामिल होंगे। बीएसए ने सभी बीईओ से एक सप्ताह के अंदर इन शिक्षकों के शैक्षिक दस्तावेज मांगें है। इसके बाद बीएसए सीधे जिलाधिकारी को दस्तावेज सौंप देंगे। उसके बाद जांच प्रक्रिया शुरु हो जाएगी।
मिल सकते हैं तमाम फर्जी शिक्षक
विभागीय जानकारों का कहना है कि अगर यह जांच गहनता से हो जाए तो कई फर्जी शिक्षक इसमें पकड़े जा सकते हैं। बहुत से शिक्षकों ने फर्जी प्रपत्र बनवाकर नौकरी हथिया ली है। इस समय वह मोटी पगार पा रहे है। खासकर एक विशेष वर्ग की भर्ती में तो बहुत ही गड़बड़झाला मिलेगा। इसमें लोगों ने डिग्री हासिल नहीं की बल्कि खरीदी है। इनके सत्यापन में भी गड़बड़िया सामने आ चुकी हैं।
इन बिंदुओं पर होनी चाहिए जांच
विभागीय जानकारों का कहना है कि कई ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने डिग्री फर्जी तरीके से हासिल की है। वहीं जब प्रमाणपत्र सत्यापन के लिए विश्वविद्यालय पहुंचा तो वहां से भी सही रिपोर्ट लगवा ली है। जांच टीम विवि की रिपोर्ट देखेगा।
अगर नए सिरे से जांच टीम विश्वविद्यालयों से सत्यापन मांग लेगी तो जरुर फर्जी शिक्षक पकड़ में आएंगे। अगर प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं कराया गया तो फर्जी शिक्षकों को तलाशना जांच टीम के लिए मुसीबत वाला होगा।
जांच टीमें को आएगी परेशानी
एक साथ करीब 10 हजार शिक्षकों की जांच करना कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए रणनीति बनाई जा रही है कि शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर शिकायतें मांग ली जाए। जितनी शिकायतें आ जाएगी उन्हीं शिक्षकों की जांच करा ली जाए। हालांकि इस पर अभी कोई निर्णय नहीं हो सका है। यह फैसला जांच टीम ही लेगी।
जिले में मिल चुके दो फर्जी शिक्षक
जिले में दो शिक्षक दूसरे के दस्तावेजों पर नौकरी कर रहे थे। यह मामला एसटीएफ से हुई शिकायत में खुला था। गोरखपुर जिले के बड़हलगंज ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय खोहिया पट्टी में तैनात शिक्षक अभयलाल यादव ने एसटीएफ से अपने प्रपत्र पर अन्य शिक्षकों के नौकरी करने की शिकायत की थी।
एसटीएफ ने जांच शुरु की तो महमूदाबाद के पलियाकलां व रामपुर मथुरा ब्लॉक के गंगापुरवा स्कूल में अभयलाल यादव के नाम से दो शिक्षक नौकरी कर रहे थे। इस पर बीएसए ने करीब एक माह पहले इन दोनो जालसाज शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया था। यह शिक्षक शिकायत होते ही फरार हो गए थे।
मांगे गए है दस्तावेज
शिक्षकों की जांच के लिए बीईओ से दस्तावेज मांगें गए हैं। इन दस्तावेजों को जिलाधिकारी को सौंप दिया जाएगा। डीएम स्तर से ही जांच प्रक्रिया होगी।
-अजय कुमार, बीएसए