गोण्डा , शिक्षामित्रों की दुविधा कम होने के बजाए बढ़ती जा रही है। समायोजन रद्द
होने से अवशेष शिक्षामित्रों के मानदेय पर भी संकट बढ़ गया है। परियोजना
स्तर पर हुई समीक्षा में मानदेय के बजट के खर्च में बड़ी लापरवाही उजागर
हुई है। शिक्षामित्रों के मानदेय बजट में स्वीकृत से अधिक खर्च हो गया है।
गोण्डा सेमेत 50 जिलों में हुई इस चूक से अब अवशेष शिक्षामित्रों को मानदेय मिलना मुश्किल होगा। बीएसए डा. फतेह बहादुर सिंह ने कहाकि जरुरत पड़ने पर शासन से मार्ग दर्शन मांगेगें। दरअसल दूसरे चरण में समायोजित होने वाले सभी शिक्षामित्रों के लिए केन्द्र से वेतन का बजट मांगा गया। केन्द्र से तय अनुदान की स्वीकृति हो गई। इसके अलावा मानदेय सिर्फ उन शिक्षामित्रों का मिला, जिनका प्रशिक्षण चल रहा था। अब समायोजन के दौरान पद की कमी से सभी शिक्षामित्रों की नियुक्ति नही हो सकी। बड़ी संख्या में अवशेष रह गए। इसी बीच समायोजन रद्द होने से पद की स्वीकृति के बाद भी समायोजन फंस गया। इसके कारण जिलों में प्रशिक्षण में शामिल शिक्षामित्र व समायोजन से बचे शिक्षामित्रों को भी मानदेय देना पड़ा। ऐसे में मानदेय के लिए मिले बजट से अधिक का खर्च हो गया। समीक्षा में इस बात के खुलासे के बाद वित्त अफसरों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। साथ ही बजट खत्म होने से अब पूरे प्रदेश के शिक्षामित्रों के मानदेय भी मिलने की संभावना खत्म हो गई है। विभाग भले ही अभी हाथ पर हाथ धरे बैठा है, लेकिन देर सबेर इस मामले पर शोर उठना तय है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
गोण्डा सेमेत 50 जिलों में हुई इस चूक से अब अवशेष शिक्षामित्रों को मानदेय मिलना मुश्किल होगा। बीएसए डा. फतेह बहादुर सिंह ने कहाकि जरुरत पड़ने पर शासन से मार्ग दर्शन मांगेगें। दरअसल दूसरे चरण में समायोजित होने वाले सभी शिक्षामित्रों के लिए केन्द्र से वेतन का बजट मांगा गया। केन्द्र से तय अनुदान की स्वीकृति हो गई। इसके अलावा मानदेय सिर्फ उन शिक्षामित्रों का मिला, जिनका प्रशिक्षण चल रहा था। अब समायोजन के दौरान पद की कमी से सभी शिक्षामित्रों की नियुक्ति नही हो सकी। बड़ी संख्या में अवशेष रह गए। इसी बीच समायोजन रद्द होने से पद की स्वीकृति के बाद भी समायोजन फंस गया। इसके कारण जिलों में प्रशिक्षण में शामिल शिक्षामित्र व समायोजन से बचे शिक्षामित्रों को भी मानदेय देना पड़ा। ऐसे में मानदेय के लिए मिले बजट से अधिक का खर्च हो गया। समीक्षा में इस बात के खुलासे के बाद वित्त अफसरों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। साथ ही बजट खत्म होने से अब पूरे प्रदेश के शिक्षामित्रों के मानदेय भी मिलने की संभावना खत्म हो गई है। विभाग भले ही अभी हाथ पर हाथ धरे बैठा है, लेकिन देर सबेर इस मामले पर शोर उठना तय है।
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