जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: सरकारी अनुदान और जरूरतमंदों के बीच
प्रशासनिक अमला सेतु का काम नहीं कर पा रहा है। शासन दिव्यांगों को कृत्रिम
पैरों की मदद से समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश में लगा है, लेकिन
स्वास्थ्य, शिक्षा और कार्यक्रम विभाग को जिले में दिव्यांग बच्चे और युवा
नजर नहीं आ रहे हैं।
देश की भावी पीढ़ी दिव्यांगता का दंश न झेले। इसके लिए 0-7 वर्ष के उन सभी बच्चों की करेक्टिव सर्जरी करने की योजना तैयार की गई है। जिनके पैर टेढ़े मेढ़े हैं। पोलिया या लकवाग्रस्त हैं। ऐसे बच्चों की निश्शुल्क सर्जरी कराई जाएगी। शासन ने लक्ष्य रखा है कि यदि किसी जिले में 200 से अधिक बच्चे पात्र मिल जाएंगे तो उसे जिले में ऑपरेशन एवं भर्ती करने की व्यवस्था की जाएगी। इसी तरह जिनके पैर कट चुके हैं। उन्हें कृत्रिम अंगों की मदद से चलाने की योजना है। इसके लिए जयपुर की एक संस्था से अनुबंध किया गया है।
जिला विकलांग कल्याण विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वह इन योजनाओं के अधिक से अधिक लाभार्थी खोजकर उन्हें लाभ दिलाया जाए। इस कार्य में स्वास्थ विभाग, बेसिक शिक्षा विभाग और कार्यक्रम विभाग की मदद लेने को कहा गया था। गरीब एवं दिव्यांग बच्चे प्राइमरी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों में ही अधिक मिल सकते हैं। विकलांग कल्याण विभाग द्वारा इस संबंध में तीनों विभागों को पत्र भेजे गए थे, लेकिन एक पखवाड़ा बीतने के बाद भी किसी विभाग ने इस पुनीत कार्य में कोई संजीदगी नहीं दिखाई।
स्थिति ये है कि विकलांग कल्याण विभाग ने अपने प्रयासों से मात्र आठ बच्चों के नाम करेक्टिव सर्जरी के लिए जुटा पाए हैं। कृत्रिम अंग के लिए भी 16-17 नाम ही मिले हैं। इसमें उक्त तीनों विभागों को योगदान न के बराबर है। ऐसे में शासन की मंशा पूरी होती नहीं दिख रही। जिला विकलांग कल्याण अधिकारी तपस्वी लाल भी मानते हैं कि अभी तक उम्मीद से बहुत कम बच्चे और दिव्यांग मिले हैं। उन्होंने बताया कि मुख्य विकास अधिकारी कर्मेंद्र ¨सह द्वारा तीनों विभागों को फिर से पत्र भेजकर लाभार्थियों को खोजने के निर्देश दिए गए हैं।
स्वयं भी कराएं पंजीकरण
जिला विकलांग कल्याण अधिकारी तपस्वी लाल का कहना है कि दिव्यांग एवं उनके अभिभावक स्वयं भी इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए पंजीकरण करा सकते हैं। निश्शुल्क पंजीकरण अपने ब्लॉक, तहसील या उनके विकास भवन दबरई स्थित कार्यालय में कराया जा सकता है।
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देश की भावी पीढ़ी दिव्यांगता का दंश न झेले। इसके लिए 0-7 वर्ष के उन सभी बच्चों की करेक्टिव सर्जरी करने की योजना तैयार की गई है। जिनके पैर टेढ़े मेढ़े हैं। पोलिया या लकवाग्रस्त हैं। ऐसे बच्चों की निश्शुल्क सर्जरी कराई जाएगी। शासन ने लक्ष्य रखा है कि यदि किसी जिले में 200 से अधिक बच्चे पात्र मिल जाएंगे तो उसे जिले में ऑपरेशन एवं भर्ती करने की व्यवस्था की जाएगी। इसी तरह जिनके पैर कट चुके हैं। उन्हें कृत्रिम अंगों की मदद से चलाने की योजना है। इसके लिए जयपुर की एक संस्था से अनुबंध किया गया है।
जिला विकलांग कल्याण विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वह इन योजनाओं के अधिक से अधिक लाभार्थी खोजकर उन्हें लाभ दिलाया जाए। इस कार्य में स्वास्थ विभाग, बेसिक शिक्षा विभाग और कार्यक्रम विभाग की मदद लेने को कहा गया था। गरीब एवं दिव्यांग बच्चे प्राइमरी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों में ही अधिक मिल सकते हैं। विकलांग कल्याण विभाग द्वारा इस संबंध में तीनों विभागों को पत्र भेजे गए थे, लेकिन एक पखवाड़ा बीतने के बाद भी किसी विभाग ने इस पुनीत कार्य में कोई संजीदगी नहीं दिखाई।
स्थिति ये है कि विकलांग कल्याण विभाग ने अपने प्रयासों से मात्र आठ बच्चों के नाम करेक्टिव सर्जरी के लिए जुटा पाए हैं। कृत्रिम अंग के लिए भी 16-17 नाम ही मिले हैं। इसमें उक्त तीनों विभागों को योगदान न के बराबर है। ऐसे में शासन की मंशा पूरी होती नहीं दिख रही। जिला विकलांग कल्याण अधिकारी तपस्वी लाल भी मानते हैं कि अभी तक उम्मीद से बहुत कम बच्चे और दिव्यांग मिले हैं। उन्होंने बताया कि मुख्य विकास अधिकारी कर्मेंद्र ¨सह द्वारा तीनों विभागों को फिर से पत्र भेजकर लाभार्थियों को खोजने के निर्देश दिए गए हैं।
स्वयं भी कराएं पंजीकरण
जिला विकलांग कल्याण अधिकारी तपस्वी लाल का कहना है कि दिव्यांग एवं उनके अभिभावक स्वयं भी इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए पंजीकरण करा सकते हैं। निश्शुल्क पंजीकरण अपने ब्लॉक, तहसील या उनके विकास भवन दबरई स्थित कार्यालय में कराया जा सकता है।
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