मृतक आश्रितों को शिक्षक बनाने की तैयारी, मृतक आश्रितों को पांच साल की समयसीमा से छूट देने की सिफारिश

सेवाकाल के दौरान मृत्यु का शिकार हुए परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के आश्रितों को राज्य सरकार फिर से शिक्षक बनने का मौका देना चाहती है। इस मकसद से स्नातक की शैक्षिक योग्यता रखने वाले मृतक आश्रितों को राज्य सरकार बीटीसी में प्रवेश की मेरिट से छूट देकर उन्हें बीटीसी ट्रेनिंग का मौका देगी।
बीटीसी प्रशिक्षित मृतक आश्रितों के टीईटी उत्तीर्ण करने पर उन्हें परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक नियुक्त किया जाएगा। बेसिक शिक्षा निदेशालय ने यह प्रस्ताव शासन को भेज दिया है जिसे कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की तैयारी है।
जुलाई 2011 में प्रदेश में निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली लागू होने से पहले सेवाकाल के दौरान मृत परिषदीय शिक्षकों के आश्रितों को नियत मानदेय पर अप्रशिक्षित शिक्षक के तौर पर नियुक्त किया जाता था। फिर उन्हें बीटीसी ट्रेनिंग करायी जाती थी। ट्रेनिंग पूरी होने पर वह सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्त किये जाते थे। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने पर कक्षा एक से लेकर आठ तक के स्कूलों में अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक लग गई। इसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) को प्रस्ताव भेजकर परिषदीय स्कूलों के मृत शिक्षकों के स्नातक और बीएड योग्यताधारी आश्रितों को शिक्षक नियुक्त कर उन्हें छह महीने का विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण देने के लिए मंजूरी मांगी थी। एनसीटीई ने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया था।
इस वजह से पिछले पांच वर्षों से मृत परिषदीय शिक्षकों के आश्रित शिक्षक पद पर नियुक्त नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे मृतक आश्रितों की संख्या लगभग ढाई हजार है। वह सरकार पर लगातार खुद को शिक्षक बनाने के लिए दबाव बना रहे हैं। विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार भी उनकी नाराजगी नहीं मोल लेना चाहती है। लिहाजा शासन स्तर पर अब ऐसे मृतक आश्रितों को शिक्षक बनाने के लिए सहमति बन गई है जिसके लिए राह तलाशी जा रही है। इसी क्रम में बेसिक शिक्षा विभाग ने यह प्रस्ताव शासन को भेजा है। चूंकि शिक्षक की मृत्यु होने पर उसके आश्रित को पांच साल के अंदर नौकरी के लिए आवेदन करना होता है। वहीं 2011 से लेकर अब तक पांच साल का समय भी बीता चुका है। लिहाजा शासन को भेजे प्रस्ताव में मृतक आश्रितों को पांच साल की इस समयसीमा से छूट देने की सिफारिश की गई है।

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