वाराणसी .आप
इसे सीधे -साधे शब्दों में ठगी कह सकते हैं !वो ठगी जो यूपी की जनता से बार
-बार की जाती रही है।जातिवाद के जहर से पैदा हुई राजनैतिक अराजकता और
भ्रष्टाचार के मौजूदा माहौल ने यूपी को देश के सबसे पिछड़े राज्यों की कतार
में ला खडा किया है।
कांग्रेस, भाजपा,सपा बसपा समेत सभी पार्टियों ने प्रदेश की जनता को जो सपने दिखाए हैं वो मुंगेरीलाल के वो सपने हैं ,जिन्हें देखने से भी यूपी की जनता अब डरती है अब हाईकोर्ट ने भी कह दिया है कि अगर चुनावी घोषणापत्र हवा हवाई हुए तो कारवाई की जानी चाहिए ।
कांग्रेस, भाजपा,सपा बसपा समेत सभी पार्टियों ने प्रदेश की जनता को जो सपने दिखाए हैं वो मुंगेरीलाल के वो सपने हैं ,जिन्हें देखने से भी यूपी की जनता अब डरती है अब हाईकोर्ट ने भी कह दिया है कि अगर चुनावी घोषणापत्र हवा हवाई हुए तो कारवाई की जानी चाहिए ।
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आर्थिक मोर्चे पर आह भर रहा यूपी
यूपी
पर लगभग 2 लाख करोड़ रुपयों का कर्ज है ,प्रति व्यक्ति आय लगभग 26 हजार
रूपए है जो देश के औसतन प्रति व्यक्ति आय 54,835 की आधी है,आज देश के कुल
घाटे के 13 फीसदी के लिए केवल यूपी जिम्मेदार है,ऐसे में कैसा विजन कैसा
राम-राज्य ? दरअसल आज यूपी जिस हालात में है उसके लिए कांग्रेस ,भाजपा उतनी
ही जिम्मेदार हैं जितनी मुलायम की सपा और मायावती की बसपा।यह सभी दल चुनाव
पूर्व अपने घोषणापत्र में सिर्फ सब्जबाग दिखाती है ,दरअसल यूपी की जनता की
जरूरतें अलग हैं ,उसकी व्यथा अलग है। पार्टियां जनता की दुखती रग के
ठिकाने को पहचान पाने और फिर उसे सहलाने में पूरी तरह से असफल रही हैं।
कहाँ है नौकरियां
कांग्रेस
द्वारा पिछले चुनाव में अपने विजन में अगले पांच सालों में उत्तर प्रदेश
में 20 लाख नौकरियां देनेका वादा किया गया है ,वहीँ भाजपा इतने ही समय में
एक करोड़ नौकरियां देने का वादा कर रही थी।ये कैसे संभव है जब प्रदेश के
सिंचाई से लेकर बिजली विभाग तक में खाली लाखों पदों को सिर्फ इसलिए नहीं
भरा जा पा रहा हो क्यूंकि उनके पास अपने कामगारों को देने को पैसा ही नहीं
है। उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग में लगभग सवा लाख -पद खाली हैं ,सिंचाई
,स्वास्थ्य और लोक निर्माण विभाग में भी तृतीय श्रेणी के पदों पर लंबे अरसे
से भर्तियाँ नहीं हुई है ,इसकी वजह धन की अनुपलब्धता और विभागों की बेहद
जीर्ण -शीर्ण होती जा रही आर्थिक स्थिति है।
वो कांग्रेस ही थी जिसके
कार्यकाल में उत्तर प्रदेश के आधा दर्जन से अधिक निगम या तो बंद हो गए या
बीमार घोषित कर दिए गए ,वहीँ भाजपा ने सत्ता संभालने के बाद यहाँ के
उद्योगों को निजीकरण के जाल में ऐसा उलझाया कि वो आज तक नहीं उबरे हैं।सपा
ने फिर बसपा ने प्रदेश में पिछले 10 सालों में लगभग 2 लाख प्राथमिक
शिक्षकों की नियुक्ति तो कर ली ,लेकिन उन्हें तनख्वाह देने में सरकार के
पसीने छूट रहे हैं ,कई -कई सालों से काम कर रहे शिक्षकों को अभी -भी साल
-साल भर पर आधा तिहाई वेतन मिल रहा है ।
खाट सभाओं से ख़ाक होगा हासिल
कांग्रेस
द्वारा खाट सभाओं के माध्यम से न सिर्फ कर्ज माफ़ी बल्कि किसानों को उन्नत
बीज और बाजार उपलब्ध कराने की भी बात कही गयी है । यूपी का दुर्भाग्य है कि
यहाँ के किसान राजनीति के दुष्चक्र से पैदा हुए आर्थिक दमन के आगे समर्पण
कर चुके हैं ,ज्यादातर सीमांत कृषकों ने या तो दूसरे रोजगार अपना लिए हैं
या फिर खेती के नए और अवैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर सब कुछ गँवा दिया है
,गंगा और यमुना एक्प्रेस वे किसानों के लिए दैत्य साबित हुए हैं ,पश्चिमी
उत्तर प्रदेश के किसानों ने वक्त की आवाज को और सरकार के मंसूबों को समझ
लिया है ,उन्हें लगता है कि खेती किसानी से बेहतर है कि अपनी जमीन
उद्योग्पतिओं को बेंच दी जाए। कर्ज की माफ़ी की जहाँ तक बात है सरकारे बदलती
गयी फसलों के समर्थन मूल्य बैलगाडी की तरह ही रहे ,ऐसे में कर्ज को माफ कर
किसानों के हालात में सुधार करना नामुमकिन है ,जहाँ तक मोबाइल फोन देने का
सवाल है ,इससे किसानों का कोई भला नहीं होने वाला है।भाजपा ने पिछले
विधानसभा चुनाव में गरीबी की रेखा से नीचे वालों को दो रूपए किलो की डर से
35 किलो गेंहू देने का वायदा किया है ,ये आश्चर्यजनक किन्तु सच है कि यूपी
में किसी गरीब के लिए बीपीएल कार्ड बनवाना बेटी की शादी से ज्यादा कठिन
हैं।
टावर तले अँधेरा
समाजवादी पार्टी ही नहीं भाजपा
और कांग्रेस दोनों ने प्रदेश को बिजली कटौती से मुक्त करने का भरोसा दिला
रही है ,कांग्रेस गाँव -गाँव चौबीसों घंटे बिजली देने का वायदा कर रही हैं
,ये हास्यास्पद है !प्रदेश के लगभग 7500 मेगावाट बिजली की जरुरत है यहाँ के
बिजलीघर लाख कोशिशों के बावजूद बमुश्किल 2700-2800 मेगावाट बिजली पैदा कर
पाते हैं केंद्रीय पूल की बिजली को मिला दने तो भी लगभग 3,000 मेगावाट
बिजली की कमी प्रदेश को हमेशा बनी रहती है |यूपी में हर साल बिजली की मांग
लगभग 500 मेगावाट बढ़ जाती है ,पर आलम ये है कि 1980 के बाद से प्रदेश मे
सार्व्जनिक्क्षेत्र का कोई भी नया बिजलीघर नहीं बना ,निजी क्षेत्र मे नए
बिजलीघरों के करार तो किये गए लेकिन वो भी कागजों पर ही बिजली पैदा कर रहे
हैं |ऐसे में कहाँ से भाजपा और कांग्रेस प्रदेश की बिजली जरूरतों को पूरा
करेंगी ?
लैपटॉप देने से नहीं बदलेगी फिजा
प्रदेश
में प्राथमिक शिक्षा का आधार स्तंभ मजबूत नहीं हो पाया है ,केवल लैपटॉप दे
देने से स्थिति ठीक होने वाली नहीं है सबसे पहली जरुरत शत-प्रतिशत
साक्षरता को तय करने की होनी चाहिए ,आज प्रदेश में माध्यमिक विद्यालयों का
अभाव है।आज भी यहाँ के छात्रों को लंबी दूरी तय करकेविद्यालय जाना पड़ता है।
शिक्षा विभाग प्रदेश के सर्वाधिक भ्रष्ट विभागों में शुमार हैं ,शिक्षक
बाबुओं के चंगुल में इस कदर फंसे पड़े हैं कि उनके पास छात्रों के लिए समय
ही कम है । सच ये है प्रदेश में वायदों से ज्यादा जरुरत माहौल बदलने की है
,और इसके लिए चाहे भाजपा हो चाहे कांग्रेस या फिर कोई और दल,गहरे आत्मबल की
जरुरत होगी ,जो कि अब तक नहीं दिखा ।
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