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अरबों रुपये का काला धन पलभर में रद्दी : 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट बंद

मंगलवार रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे ही 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट बंद करने का जो फैसला किया वैसे ही हमारे देश में काली कमाई और काली कमाई से जुड़े कारोबार करने वालों को मानों पहाड़ टूट गया, कितनों लोगों के पास रखा हुआ अरबों रुपये का काला धन पलभर में रद्दी हो गया है।
प्रधानमंत्री ने इस फैसले से देश में सिर्फ काले धन पर लगाम नहीं लगाई है, बल्कि मौजूदा समय के सबसे खतरनाक खतरे आतंकवाद की फंडिंग की कमर तोड़कर रख दी है।
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ऐसा माना जाता है कि देश में हवाला का सबसे बड़ा नेटवर्क

आतंकवाद की टूटी कमर

प्रधानमंत्री के इस फैसले के बाद देश में स्थित आतंकी नेटवर्क की पूरी तरह से कमर टूट चुकी है, आतंकवादी आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए काले धन का इस्तेमाल ही करते हैं लेकिन अब आतंकियों के पास जो पैसा होगा वह भी कूड़ा हो गया है।

प्रॉपर्टी की कीमतों में आ सकती है गिरावट

देश में काले धन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल प्रॉपर्टी के कारोबार में होता रहा है, पॉपर्टी के खरीदार और बिकवाल सिर्फ रजिस्ट्री के लिए जरूरी पैसे और तय सर्किल रेट की लेनदेन को व्हाइट दर्शाते हैं लेकिन इससे ऊपर का लेनदेन ज्यादातर कालेधन के जरिए ही होता है। सरकार के इस फैसले के बाद अब पॉपर्टी में सिर्फ जायज पैसे का ही लेनदेन हो सकेगा और ऐसा होने की स्थिति में खरीदार सिर्फ जायज पैसा ही दे सकेगा, यानि सरकार के इस फैसले से पॉपर्टी की कीमतों में गिरावट आ सकती है।

रिश्वतखोरी पर लगेगी लगाम
सरकार के इस फैसल के बाद देशभर में रिश्वतखोरी पर भी लगाम लग सकेगी। रिश्वतखोरों को बड़ी मात्रा में रिश्वत नहीं दी जा सकेगी।

सरकारी खजाना भरेगा

सरकार के इस फैसले के बाद अधिकतर लीगल कारोबार ही हो सकेगा और लीगल कारोबार के लिए टैक्स चुकना पड़ेगा, जितना ज्यादा लीगल ट्रेड होगा उतना ज्यादा टैक्स सरकार के खाते में जाएगा। यानि सरकार का खजाना भरने वाला है।

क्रिकेट में सट्टा होगा बंद

देश में काले धन का बहुत बड़ी मात्रा में सट्टेबाजी के लिए इस्तेमाल होता है और क्रिकेट में सट्टेबाजी से भला कौन परिचित नहीं है, सरकार के इस फैसले के बाद क्रिकेट में सट्टेबाजी पर रोक लग सकेगी।

डब्बा ट्रेडिंग पर लगेगी लगाम

ऐसा माना जाता है कि शेयर और कमोडिटी बाजारों की तर्ज पर देश में डब्बा ट्रेडिंग होती है, एक अनुमान के मुताबिक देश की कमोडिटी और शेयर बाजारों में जितना कारोबार होता है उससे करीब 3 गुना बड़ा बाजार डब्बा ट्रेडिंग को माना जा

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