टीम एनबीटी, लखनऊ चुनाव में कानून और व्यवस्था दुरुस्त रखने के नाम पर लखनऊ पुलिस ने 130 लोगों को 107/116 के तहत पाबंद कर दिया है। खास बात यह है कि इन पर आजतक कोई पुलिस केस नहीं हुआ। पुलिस अपने इस कारनामें को सही ठहरा रही है।
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पाबंद पर पुलिसवालों के अनोखे जवाब
हमारे थाने की लिस्ट में एक ही परिवार के कई लोगों को पाबंद किया गया है। वे पहले भी झगड़ा कर चुके हैं। दीनदयाल दबंगों का पिता है, इसलिए उसका भी नाम दर्ज हो गया होगा।
शाशिकांत यादव, थानाध्यक्ष काकोरी
शिक्षकों को पाबंद करना ज्यादा जरूरी है,क्योंकि शिक्षक पढ़ाई से ज्यादा राजनीति में ध्यान देते हैं। सभी पार्टियों में शिक्षक ही ऊंचे पदों पर बैठे हैं, इसलिए उन्हें पाबंद किया गया है।
अशोक यादव, थाना प्रभारी, इटौंजा
आशियाना इलाके के पाबंद लोगों की लिस्ट काफी पहले बन चुकी थी, तब मेरी पोस्टिंग यहां नहीं थी। कई साफ-सुथरी छवि वाले व्यक्तियों के नाम भी लिस्ट में दर्ज हो गए।
मो. सुजाउद्दीन, इंस्पेक्टर, आशियाना कोतवाली
पाबंद लोगों की लिस्ट चौकी इंचार्ज और हेड कॉन्स्टेबल तैयार करते हैं। हो सकता है पहले कोई मारपीट की हो, इसलिए नाम नोटिस देकर मुचलका भरवाने के लिए कहा गया है।
सुरेश पटेल, इंस्पेक्टर, सआदतगंज कोतवाली
हमारे क्षेत्र में उन लोगों के नाम भी पाबंद में शामिल किए गए हैं, जिन्होंने पहले कभी चुनाव के दौरान लड़ाई झगड़ा किया होगा या किसी राजनैतिक दल से जुड़े होंगे।
उमेश श्रीवास्तव, इंस्पेक्टर, अमीनाबाद कोतवाली
पिछले चुनावों की लिस्ट के आधार पर ही लोग पाबंद किए जाते हैं। कुछ नए नाम इसलिए जोड़ लिए जाते है ताकि कोई अधिकारी या नेता पुलिस की कार्यशैली पर उंगली न उठा सके।
रामपाल यादव, इंस्पेक्टर, मोहनलालगंज थाना
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एक्सपर्ट व्यू
CRPC बनी, तब का है नियम
पूर्व डीजीपी ब्रजलाल के मुताबिक जब सीआरपीसी बनी थी, उस वक्त से ही पाबंद करने का नियम लागू है। इसमें पुलिस शांतिभंग करने वालों को 107/116 के तहत छह महीनों के लिए पाबंद कर सकती है। अगर मामला ज्यादा गंभीर है तो तुरंत कार्रवाई के लिए 107/116 (3) जोड़ दिया जाता है। पाबंद व्यक्ति को एसडीएम के समक्ष पेश होकर मुचलका भरना होता है। धनराशि तय करने का अधिकार एसडीएम के अधीन होता है। पाबंद की कार्रवाई कभी एकतरफा नहीं होती है।
जानिए अपने अधिकार
गलत रिपोर्ट पर उतर सकती है वर्दी
ब्रजलाल ने बताया कि पाबंद के कई मामलों में पुलिस सिर्फ खानापूर्ति करती है। कभी नौ साल के बच्चे को पाबंद कर दिया जाता है तो कभी नि:शक्तों को। ऐसे मामलों में पीड़ित व्यक्ति को सीओ या अन्य सीनियर अफसरों से शिकायत करनी चाहिए। जिम्मेदार अफसरों को ऐसे दोषी थानेदार के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार है।
जा सकते हैं हाई कोर्ट
ऐसे मामले में पीड़ित 107/116 नोटिस का जवाब देना चाहिए। इसके बाद भी सुनवाई न होने पर जिला जज के यहां निगरानी दाखिल की जा सकती है। साथ ही केस को हाई कोर्ट के समक्ष भी ले जाया जा सकता है, क्योंकि यह उसके संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है।
राजीव त्रिपाठी, एडवोकेट, हाई कोर्ट
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फूट पड़ा गुस्सा
शिक्षक आयोग से करेंगे शिकायत
शिक्षकों के साथ ही आम नागरिकों की गरिमा को ठेस पहुंचाई गई। शिक्षक पार्टी का नहीं, पूरे समाज का होता है। कई शिक्षकों के खिलाफ एकतरफा पाबंद की कार्रवाई की गई है। इसकी शिकायत आयोग से की जाएगी। रणनीति के लिए 26 को मीटिंग बुलाई गई है।
वीरेंद्र सिंह, महामंत्री, माध्यमिक शिक्षक संघ
पुलिस आम लोगों को ही पाबंद कर वाहवाही लूटती है, जबकि उन्हें पाबंद किए जाने वाले लोगों की सही पड़ताल करनी चाहिए। ऐसे मामलों न हो, इसके लिए चुनाव आयोग को शिकायत की जाएगी।
लेनिन रघुवंशी, महासचिव मानवाधिकार जननिगरानी समिति
जिला निर्वाचन अधिकारी गौरी शंकर प्रियदर्शी ने कहा...
अगर कोई बेगुनाह पाबंद हो जाता है तो उसे कैसे न्याय मिलेगा?
इसके लिए एसएसपी या मुझसे संपर्क कर सकते हैं।
क्या बेगुनाहों का नाम पाबंद वाली लिस्ट से हट सकते हैं?
इस मामले में उप जिला निर्वाचान अधिकारी को जांच सौपी गई है। रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई होगी।
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हमारे थाने की लिस्ट में एक ही परिवार के कई लोगों को पाबंद किया गया है। वे पहले भी झगड़ा कर चुके हैं। दीनदयाल दबंगों का पिता है, इसलिए उसका भी नाम दर्ज हो गया होगा।
शाशिकांत यादव, थानाध्यक्ष काकोरी
शिक्षकों को पाबंद करना ज्यादा जरूरी है,क्योंकि शिक्षक पढ़ाई से ज्यादा राजनीति में ध्यान देते हैं। सभी पार्टियों में शिक्षक ही ऊंचे पदों पर बैठे हैं, इसलिए उन्हें पाबंद किया गया है।
अशोक यादव, थाना प्रभारी, इटौंजा
आशियाना इलाके के पाबंद लोगों की लिस्ट काफी पहले बन चुकी थी, तब मेरी पोस्टिंग यहां नहीं थी। कई साफ-सुथरी छवि वाले व्यक्तियों के नाम भी लिस्ट में दर्ज हो गए।
मो. सुजाउद्दीन, इंस्पेक्टर, आशियाना कोतवाली
पाबंद लोगों की लिस्ट चौकी इंचार्ज और हेड कॉन्स्टेबल तैयार करते हैं। हो सकता है पहले कोई मारपीट की हो, इसलिए नाम नोटिस देकर मुचलका भरवाने के लिए कहा गया है।
सुरेश पटेल, इंस्पेक्टर, सआदतगंज कोतवाली
हमारे क्षेत्र में उन लोगों के नाम भी पाबंद में शामिल किए गए हैं, जिन्होंने पहले कभी चुनाव के दौरान लड़ाई झगड़ा किया होगा या किसी राजनैतिक दल से जुड़े होंगे।
उमेश श्रीवास्तव, इंस्पेक्टर, अमीनाबाद कोतवाली
पिछले चुनावों की लिस्ट के आधार पर ही लोग पाबंद किए जाते हैं। कुछ नए नाम इसलिए जोड़ लिए जाते है ताकि कोई अधिकारी या नेता पुलिस की कार्यशैली पर उंगली न उठा सके।
रामपाल यादव, इंस्पेक्टर, मोहनलालगंज थाना
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एक्सपर्ट व्यू
CRPC बनी, तब का है नियम
पूर्व डीजीपी ब्रजलाल के मुताबिक जब सीआरपीसी बनी थी, उस वक्त से ही पाबंद करने का नियम लागू है। इसमें पुलिस शांतिभंग करने वालों को 107/116 के तहत छह महीनों के लिए पाबंद कर सकती है। अगर मामला ज्यादा गंभीर है तो तुरंत कार्रवाई के लिए 107/116 (3) जोड़ दिया जाता है। पाबंद व्यक्ति को एसडीएम के समक्ष पेश होकर मुचलका भरना होता है। धनराशि तय करने का अधिकार एसडीएम के अधीन होता है। पाबंद की कार्रवाई कभी एकतरफा नहीं होती है।
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राजीव त्रिपाठी, एडवोकेट, हाई कोर्ट
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इस मामले में उप जिला निर्वाचान अधिकारी को जांच सौपी गई है। रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई होगी।
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