लखीमपुर: रक्षाबंधन के त्योहार को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों के लिए एक बुरी खबर है। रक्षाबंधन से पहले शिक्षकों को वेतन जारी करने में विभाग के लेखा विभाग को दिक्कतें आ रही हैं।
दरअसल शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने के बाद से शासन से दस संबंध में कोई दिशा-निर्देश नहीं आया है। इसकी वजह से लेखा विभाग शिक्षकों का जुलाई माह का वेतन अभी नहीं बना रहा है। लेखाधिकारी इस इंतजार में हैं कि शासन से निर्देश मिलने के बाद शिक्षामित्रों और शिक्षकों का वेतन एक साथ भेजा जाए।
बता दें कि जिले में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में करीब साढ़े 12 हजार शिक्षक कार्यरत हैं। उन्हें हर महीने करीब 50 से 55 करोड़ रुपये वेतन दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया था, जिसके विरोध में शिक्षामित्रों ने सात दिन तक बीएसए कार्यालय पर आंदोलन किया था और जुलाई माह का पूरा वेतन दिलाने की मांग उठाई थी। अब लेखा विभाग बेसिक के नियमित शिक्षकों को वेतन जारी करने में नई समस्या बता रहा है। लेखाधिकारी डॉ दिलीप कुमार ¨सह का कहना है कि शिक्षामित्रों ने 25 जुलाई तक ही स्कूलों में बच्चों को पढ़ाया है। उसके बाद शासन स्तर से शिक्षामित्रों का समझौता हुआ है। जिससे ये साफ नहीं है कि शिक्षामित्रों को 25 जुलाई तक का ही वेतन दिया जाएगा या 31 जुलाई तक वेतन दिया जाएगा। शिक्षामित्रों के बारे में तस्वीर साफ न होने की वजह से शिक्षकों का वेतन भी नहीं बनाया जा रहा है। क्योंकि लेखा विभाग को शिक्षकों का वेतन जारी करने में छंटनी करनी पड़ेगी। इसलिए लेखाधिकारी अभी शासन के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं। लेखाधिकारी का कहना है कि जुलाई माह में तमाम शिक्षकों के वेतन में इंक्रीमेंट भी लगाया जाना है। ऐसे में गाइड लाइन मिलने के बाद ही शिक्षकों का वेतन जारी किया जाएगा।
सौ फीसद स्कूलों में एमडीएम बनने का दावा
शिक्षामित्रों के आंदोलन के दौरान जिले के करीब डेढ़ हजार स्कूलों में ताला लगा रहा, हालांकि बीएसए समेत तमाम अधिकारी प्रभारी शिक्षामित्रों के सिर्फ 600 स्कूलों में एमडीएम न बनने का दावा किया। शासन से हुए समझौते के बाद शिक्षामित्र स्कूल गए। एमडीएम प्रभारी रितुराज ¨सह का दावा है कि बुधवार को सभी स्कूलों के ताले खुले और वहां एमडीएम बनाया गया।
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दरअसल शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने के बाद से शासन से दस संबंध में कोई दिशा-निर्देश नहीं आया है। इसकी वजह से लेखा विभाग शिक्षकों का जुलाई माह का वेतन अभी नहीं बना रहा है। लेखाधिकारी इस इंतजार में हैं कि शासन से निर्देश मिलने के बाद शिक्षामित्रों और शिक्षकों का वेतन एक साथ भेजा जाए।
बता दें कि जिले में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में करीब साढ़े 12 हजार शिक्षक कार्यरत हैं। उन्हें हर महीने करीब 50 से 55 करोड़ रुपये वेतन दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया था, जिसके विरोध में शिक्षामित्रों ने सात दिन तक बीएसए कार्यालय पर आंदोलन किया था और जुलाई माह का पूरा वेतन दिलाने की मांग उठाई थी। अब लेखा विभाग बेसिक के नियमित शिक्षकों को वेतन जारी करने में नई समस्या बता रहा है। लेखाधिकारी डॉ दिलीप कुमार ¨सह का कहना है कि शिक्षामित्रों ने 25 जुलाई तक ही स्कूलों में बच्चों को पढ़ाया है। उसके बाद शासन स्तर से शिक्षामित्रों का समझौता हुआ है। जिससे ये साफ नहीं है कि शिक्षामित्रों को 25 जुलाई तक का ही वेतन दिया जाएगा या 31 जुलाई तक वेतन दिया जाएगा। शिक्षामित्रों के बारे में तस्वीर साफ न होने की वजह से शिक्षकों का वेतन भी नहीं बनाया जा रहा है। क्योंकि लेखा विभाग को शिक्षकों का वेतन जारी करने में छंटनी करनी पड़ेगी। इसलिए लेखाधिकारी अभी शासन के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं। लेखाधिकारी का कहना है कि जुलाई माह में तमाम शिक्षकों के वेतन में इंक्रीमेंट भी लगाया जाना है। ऐसे में गाइड लाइन मिलने के बाद ही शिक्षकों का वेतन जारी किया जाएगा।
सौ फीसद स्कूलों में एमडीएम बनने का दावा
शिक्षामित्रों के आंदोलन के दौरान जिले के करीब डेढ़ हजार स्कूलों में ताला लगा रहा, हालांकि बीएसए समेत तमाम अधिकारी प्रभारी शिक्षामित्रों के सिर्फ 600 स्कूलों में एमडीएम न बनने का दावा किया। शासन से हुए समझौते के बाद शिक्षामित्र स्कूल गए। एमडीएम प्रभारी रितुराज ¨सह का दावा है कि बुधवार को सभी स्कूलों के ताले खुले और वहां एमडीएम बनाया गया।
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