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सुप्रीमकोर्ट से समायोजन रद्द होने बाद शिक्षामित्रों के जुलाई के वेतन पर मंडरा रहे संकट के बादल, शासनादेश का इंतजार

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षामित्रों के जुलाई माह के वेतन पर संकट के बादल हैं। बेशक, समायोजन रद 25 जुलाई को हुआ है लेकिन, किसी भी तरह की कानूनी पेंचीदगियों से बचने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने वेतन प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।
शिक्षामित्र करीब 10 साल से नियमित किए जाने की मांग कर रहे थे। गांव से लेकर तहसील, जिला मुख्यालय और प्रदेश स्तर पर भी उन्होंने संघर्ष किया। कई बार दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर भी आंदोलन किए। इसके बाद प्रदेश में सपा सरकार ने उन्हें नियमित किए जाने का रास्ता निकाला था। शिक्षामित्रों को समायोजित किया गया। इससे पहले शिक्षामित्रों को दो साल की दूरस्थ बीटीसी कराई गई, जिसके बाद समायोजित कर सहायक अध्यापक बना दिया गया, लेकिन तब तक शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हो चुका था। इसमें टीइटी परीक्षा अनिवार्य कर दी गई थी, जबकि शिक्षामित्रों को इससे छूट दे दी गई थी। इसी को लेकर उनका केस चल रहा था। दो साल पहले हाईकोर्ट ने समायोजन निरस्त कर दिया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी, 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर ही मुहर लगा दी। अब शिक्षामित्रों के जुलाई माह के वेतन पर संकट गहरा गया है। शिक्षामित्र संगठन के जिलाध्यक्ष सैयद जावेद मियां का कहना है कि 25 जुलाई तक नौकरी की है, सरकार को वेतन देना चाहिए। जबकि, बीएसए सर्वदानंद का कहना है कि 2015 में हाईकोर्ट ने इन्हें शिक्षक मानने से इंकार किया था, अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। ऐसे में कब तक का वेतन जारी करना है, शासन की गाइडलाइन का इंतजार है। फिलहाल, वेतन प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है।|

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