16448 शिक्षक भर्ती में फिर हुआ विवाद: शिक्षा निदेशक से सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों ने 16448 भर्ती में लगाया विसंगतियों का आरोप सामान्य वर्ग की सीट को अन्य वर्ग के कम गुणांक वाले अभ्यर्थियों से भरने की चल रही है प्रक्रिया

 इलाहाबाद। बेसिक शिक्षा परिषद सचिव द्वारा 13 दिसम्बर 2017 को एक आदेश पारित किया गया जिसमें आदेश दिया गया कि 16448 शिक्षक भर्ती में प्रथम और द्वितीय कॉउंसिलिंग के उपरांत क्षैतिज आरक्षण के रिक्त पदों के सापेक्ष अभ्यर्थी उपलब्ध न होने के कारण इन पदों को उनकी ही श्रेणी के सापेक्ष उन योग्य अभ्यर्थियों से
भरा जाये जो पूर्व में संबंधित जिले की कॉउंसिलिंग में प्रतिभाग कर चुके हैं।
वहीं अब बेसिक शिक्षा परिषद सचिव के द्वारा पारित आदेश ने अनेक विसंगतियों को जन्म दे दिया है। जिसके कारण सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों में आक्रोश दिन प्रतिदिन पनपता जा रहा है, क्योंकि जिला वरीयता के चलते बेसिक शिक्षक भर्ती में पहले उसी जिले के अभ्यर्थियों का चयन किया जाता है जो उसी जिले का मूल निवासी हो जिसके कारण द्वितीय कॉउंसिलिंग में अधिकतम जिलो में सामान्य श्रेणी के रिक्त पद शून्य हो गए। वहीं अब अधिकतम जिलों में सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों को छोड़ करके बाकी अन्य वर्ग के अभ्यर्थियों की कॉउंसिलिंग कराई जा रही है क्योंकि द्वितीय काउन्सलिंग में सामान्य की सीट न होने के कारण सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को सम्मिलित नहीं किया गया था जिससे सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को द्वितीय कॉउंसिलिंग में प्रतिभाग करने को नहीं मिल पा रहा है। किन्तु सचिव के आदेश के बाद अब बड़ी संख्या में सामान्य वर्ग के पद कई जिलों में खाली हैं लेकिन अब उन्हें ये कहकर रोका जा रहा है कि उन्होंने पूर्व में द्वितीय कॉउंसिलिंग नहीं करवायी है।

गौरतलब है कि बहराइच जिले में 12 सामान्य श्रेणी के पद खाली है जिनके सापेक्ष उस जिले के सिर्फ 5 अभ्यर्थी बचे हैं बाकी सबका चयन पहले ही हो चुका है। अतः बचे हुए शेष 7 पद अन्य जिलों के कम गुणांक वाले ओबीसी, एससी वर्ग के अभ्यर्थियों से भरे जा रहे हैं। जिन्हें द्वितीय कॉउंसिलिंग में मौका मिला था, जबकि अधिक गुणांक वाले सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थी उपस्थित होते हुए भी उन्हें गलत नियमों एवम् सचिव के आदेश का हवाला देते हुए रोका जा रहा है। जबकि इन 7 सामान्य पदों पर खुली कॉउंसिलिंग होनी चाहिए क्योंकि इन पदों के लिए योग्य अभ्यर्थी मौजूद हैं। उन्हें अभी तक मौका भी नहीं दिया गया है। सचिव की दूरदर्शिता की कमी और पूर्ण जानकारी न होने का खामियाजा उन सामान्य वर्ग के योग्य अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ रहा है जिनके गुणांक ज्यादा होते हुए भी उनकी सीट को किसी अन्य वर्ग के कम गुणांक वाले अभ्यर्थियों से भरने की प्रक्रिया चल रही है। ऐसा ही कई अन्य जिलों में भी हो रहा है जिसकी सुध लेने वाला कोई भी नहीं । सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा निदेशक लखनऊ से उक्त मामले को संज्ञान में लेते हुए नया आदेश पारित करने की मांग की है।
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