🔥 आज के ऐतिहासिक कदम पर बेवाक सधी हुई टिप्पणी🔥
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कूरियन जोसफ
का प्रेस कांफ्रेंस देश के सर्वोच्च न्यायालय की
वर्तमान स्थिति बयां कर रही है।
दीपक मिश्रा के सीजेआई बनने के बाद केसों
के बंटवारें में भेदभाव बरता जा रहा है और अपने मन मुताबिक केस का निपटारा
किया जा रहा है। वही भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों को भी दीपक मिश्रा द्वारा
दबाया जा रहा है। यह अभूतपूर्व पहल है देश के न्यायपालिका के भविष्य के
लिए। इन चार जजों ने इस देश की महान न्यायपालिका को बचाने की कोशिश की है।
अब यह देश के लोगों के ऊपर है कि वह इन चार जजों का मीडिया के सामने आने का
मतलब समझे। इन चार जजों के देश के लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं के लिए
पहली बार मीडिया के सामने आना ऐतिहासिक घटना है और सरकार के लिए शर्म का
विषय भी। जो जरूरत से ज्यादा न्यायपालिका में दीपक मिश्रा के बहाने
हस्तक्षेप कर रहे हैं।
मुझे लगता है यह मुख्य न्यायाधीश की तानाशाही के खिलाफ़ बग़ावती बिगुल है और एक सही कदम है।
4 जजों ने कहा कि 20 साल बाद हमें दोषी ना करार ना दिया जाएं कि आपने अपना
काम सही नही किया। दीपक मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में तानाशाही मचा रखी है
और अपनी मन मर्जी से वे फैसले ले रहे है और जनहित को परे रखकर काम करते है
जोकि संविधान की मूल आत्मा और न्याय के संगत नही है।
वरिष्ठ वकील शांतिभूषण जी ने इनके शपथ ग्रहण के पूर्व ही इनके कथित कारनामों का चिठ्ठा द वायर में खोला था।
बहुत महत्वपूर्ण स्थिति में एक साथ 4 विद्वान न्यायाधीशों ने आकर जिस तरह
से बगावत का बिगुल फूंका है वह दर्शाता है कि देश सच मे इस समय भयानक संकट
में है।
महामहिम राष्ट्रपति जी के लिए यह फैसले की घड़ी है जब वे तुरंत कार्यवाही कर देश को इस संकट से निजात दिलवाए।
पिछले छह माहों में आये फैसलों से यह स्पष्ट विदित होता है कि न्याय की
स्थिति और सम्पूर्ण न्यायपालिका की स्थिति बहुत गम्भीर है और जिस तरह से
अपराधियों और हिस्ट्री शीटर लोगों को बचाया जा रहा है, विचारधारा और
व्यक्ति विशेष के दबाव में कुछ खास वर्ग के हितों में निर्णय लिए जा रहे है
वह आम आदमी और देश के नागरिकों के लिए बड़ा खतरा है।
देश बदल रहा है। मैं इन 4 न्यायाधीशों का समर्थन करता हूँ और उनके इस कदम की सराहना करता हूँ
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