कॉलेज प्रिंसिपल के पद पर नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों को अब कार्यकाल
पूरा होने के बाद सम्मानजनक विदाई दी जाएगी। ऐसे शिक्षकों को प्रिंसिपल के
पद से हटने के बाद सीधे प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति मिलेगी।
साथ ही कॉलेजों
के प्रिंसिपल का अधिकतम कार्यकाल भी अब दस साल निश्चित कर दिया गया है।
पहले चरण में यह
पांच साल का होगा, इसके बाद पांच साल का और सेवा
विस्तार दिया जा सकता है। मौजूदा समय में कॉलेज प्रिंसिपल का अधिकतम
कार्यकाल करीब 25 साल का है।1कॉलेज प्रिंसिपल की नियुक्ति के नियमों में
बदलाव की यह सिफारिश यूजीसी की ओर से हिमाचल प्रदेश के पूर्व कुलपति
प्रोफेसर सुनील गुप्ता की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने की है। कमेटी ने
अपनी यह सिफारिश गुरुवार को सरकार को सौंपी है। यूजीसी सूत्रों के मुताबिक,
कॉलेज प्रिंसिपल के पद पर नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों के साथ मौजूदा समय
में यह एक बड़ी विसंगति थी। इसके तहत प्रिंसिपल पद का कार्यकाल पूरा होने
के बाद उन्हें अब तक उसी मूल कैडर में वापस भेज दिया जाता था, जहां से वह
प्रिंसिपल के पद पर जाते थे। यानि यदि वे असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर काम
करने के दौरान प्रिंसिपल के पद पर नियुक्ति पाते थे, तो प्रिंसिपल का
कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्हें फिर से असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर ही
लौटना पड़ता था। जो कॉलेज का प्रिंसिपल बनने के बाद उन्हें नागवार गुजरता
था।1 पिछले दिनों सरकार के सामने कॉलेज के प्रिंसिपलों ने इसे लेकर नाखुशी
दर्ज कराई थी। इसके बाद सरकार के निर्देश पर यूजीसी ने इस मामले को लेकर एक
कमेटी गठित कर दी थी। जिसने देशभर के कॉलेजों की स्थितियों का जायजा लेने
के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है।
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