लखनऊ : बुनियादी शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए शुरू किए गए सर्व शिक्षा
अभियान और माध्यमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लिए चालू राष्ट्रीय
माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) का केंद्र सरकार अब आपस में विलय करने जा
रही है। यह विलय जल्दी हो जाएगा।
केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रलय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता
विभाग के सचिव अनिल स्वरूप ने शनिवार को योजना भवन में बेसिक और माध्यमिक
शिक्षा विभाग के अफसरों को यह जानकारी दी। वह उप्र में स्कूल शिक्षा के
कायाकल्प के लिए राज्य सरकार को पिछले साल सुझाए गए रोडमैप पर अब तक हुए
अमल की समीक्षा करने आए थे। उन्होंने कहा कि यदि एक ही परिसर में प्राथमिक
और उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं तो उन्हें दो अलग इकाई की बजाय एक
मानते हुए उनकी प्रशासनिक व्यवस्था का भी एकीकरण किया जाए। एक ही
प्रधानाध्यापक हो।
निजी स्कूलों पर नकेल कसे सरकार : केंद्रीय सचिव ने सरकारी के साथ निजी
स्कूलों के छात्रों और शिक्षकों के आधार नामांकन की खराब स्थिति पर
अप्रसन्नता जताई। उन्होंने निजी स्कूलों के खिलाफ निशुल्क एवं अनिवार्य बाल
शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा-18 के तहत कार्रवाई करते हुए मान्यता रद
करने का निर्देश दिया। 1स्कूलवार हो शिक्षकों की नियुक्ति : परिषदीय
स्कूलों में शिक्षकों की बेतरतीब तैनाती और सरप्लस शिक्षकों की समस्या से
निपटने के लिए भी केंद्रीय सचिव ने सुझाव दिया। कहा कि शिक्षकों की
नियुक्ति जिला स्तर पर करने की बजाय स्कूलों में रिक्त पदों के सापेक्ष
करनी चाहिए। उन्होंने इस व्यवस्था को 68,500 शिक्षकों के चयन में भी अपनाने
के लिए कहा। 1केंद्रीय सचिव ने कहा कि जिन जिलों में निजी बीटीसी कॉलेजों
की भरमार है, वहां के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) को
प्री-सर्विस ट्रेनिंग देने की बजाय सिर्फ सेवारत शिक्षकों को ही प्रशिक्षण
देना चाहिए।
साक्षर भारत अभियान पर निर्णय ले केंद्र : केंद्रीय सचिव से अनुरोध किया
गया कि साक्षर भारत अभियान के भविष्य के बारे में केंद्र सरकार जल्दी
निर्णय ले क्योंकि इसमें विलंब होने पर राज्य सरकार पर हर महीने 19 करोड़
रुपये के भुगतान की जिम्मेदारी बढ़ेगी।
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