Wednesday 31 January 2018

आयोग के शोरशराबे में दब गया शिक्षक भर्तियों का भ्रष्टाचार: चयन बोर्ड पर भी हैं अनियमितताओं के तमाम आरोप

लखनऊ 1सीबीआइ ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार की जांच शुरू करके जहां प्रशासनिक पदों के अभ्यर्थियों में न्याय की आस जगाई है, वहीं इसके शोरशराबे में शिक्षकों की भर्ती में हई गड़बड़ियां दब गई हैं। सपा शासन में माध्यमिक शिक्षकों और असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती को लेकर भी

अनियमितताओं की तमाम शिकायतें थीं। परीक्षा की प्रक्रिया से लेकर सदस्यों की नियुक्ति तक के मामले विवादों में रहे थे, लेकिन फिलहाल इस पर चुप्पी है।
प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों, प्रवक्ताओं और प्रधानाचार्यो के चयन की जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड पर है लेकिन यह कभी विवादों से अछूता नहीं रहा। सपा शासन में गलत तरीके से की गई अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्तियों ने चयन बोर्ड की छवि को और भी प्रभावित किया। अंतत: हाईकोर्ट के निर्देश पर अध्यक्ष अनीता सिंह व सनिल कुमार को हटाना पड़ा। सदस्यों में मारपीट तक हुई और मामला शासन तक पहुंचा।
असिस्टेंट प्रोफेसरों की परीक्षा में सादी कापियां : कमोबेश ऐसी ही स्थिति उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की रही, जिस पर महाविद्यालयों को असिस्टेंट प्रोफेसर उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी है। समाजवादी पार्टी के शासनकाल में आयोग का पूरी तरह गठन कभी नहीं हो सका। अधिकांश समय तक कार्यवाहक अध्यक्ष के सहारे ही आयोग चलता रहा और सदस्यों की कमी बनी रही। आयोग ने 1652 पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसरों के भर्ती के लिए पहली बार लिखित परीक्षा कराई, लेकिन सवालों के गलत उत्तरों की वजह से इसको लेकर कई विवाद खड़े हुए। हाईकोर्ट के दबाव पर सपा सरकार ने यहां पूर्व आइएएस एलबी पांडेय को अध्यक्ष बनाकर भेजा। उन्होंने परीक्षा की कापियां स्कैन कराई तो लगभग दो सौ कापियां सादी मिलीं। चर्चा थी कि इन कापियों को इसलिए सादी जमा कराया गया था कि उन्हें बदलकर चहेतों को पास कराया जा सके। बाद में पांडेय की भी नियुक्ति अवैध पाई गई। इसके साथ ही लंबे समय से सचिव पद का काम देख रहे संजय सिंह की नियुक्ति भी अवैध साबित हुई। सरकार ने पूर्व आइएएस प्रभात मित्तल को आयोग का अध्यक्ष बनाकर भेजा और उन्होंने 1150 पदों पर नई भर्ती भी विज्ञापित की। लेकिन, भाजपा के सत्ता में आने के बाद पद छोड़ दिया। इस आयोग की भर्तियों पर भी कोई जांच नहीं शुरू हुई और यहां भी अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति का इंतजार है।


sponsored links:
发表于 /