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शिक्षामित्रों ने सत्याग्रह कर समस्या का मांगा न्यायोचित समाधान

जासं, कौशांबी : शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त होने के बाद से अब तक पूरे प्रदेश में सैकड़ों शिक्षामित्रों की मौत हो चुकी है। यह मौत का सिलसिला अभी थमा नहीं है। इस पर निजात लगाने के लिए शिक्षामित्रों ने समस्या के समाधान को ही एक मात्र विकल्प बताते हुए दूसरे दिन भी सत्याग्रह जारी रखा।
डायट मैदान में बैठक के बाद कलेक्ट्रेट पहुंचकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा और समस्या के स्थाई समाधान की मांग की है।

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ जिलाध्यक्ष रत्नाकर ¨सह ने कहा कि 2015 में गोरखपुर में हो रहे शिक्षामित्रों के आंदोलन में दौरान मुख्यमंत्री ने शिक्षामित्रों की समस्या के निदान के लिए भरोसा दिया था। भाजपा ने चुनाव के दौरान जारी किए गए संकल्प पत्र में भी न्यायोचित समाधान की बात कही थी। इसके बाद भी शिक्षामित्र परेशान होकर जान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट के निर्देश पर उनको शिक्षक से शिक्षामित्र पद पर भेजा गया है। जबकि कोर्ट के तमाम अन्य ऐसे फैसले भी है जो सरकार चाहे तो लागू करते हुए शिक्षामित्रों का हित कर सकती है। कहा कि समान कार्य समान वेतन का आदेश कोर्ट का ही है। सरकार चाहे तो शिक्षामित्रों को इस आदेश के तहत 38878 रुपये देकर उनका हित कर सकती है। जिला महामंत्री विद्या चरण शुक्ल शिक्षामित्रों को आठ माह से मानदेय नहीं मिला। जिसे दिलाने के साथ ही सातवें वेतन आयोग के आदेश के प्रभावी होने के बाद से उनको मिलने वाले एरियर को दिया जाए। जिससे शिक्षामित्रों को आर्थिक संकट से न जूझना पड़े। डायट मैदान में बैठक के बाद शिक्षामित्र कलेक्ट्रेट पहुंचे। मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम को देकर समस्या के समाधान की मांग की है। इस मौके पर बिहारीलाल, विजय बहादुर, कीर्ति देवी, प्रतिभा मिश्रा, विनीता यादव, सुरेश कुमार आदि मौजूद रहे।
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