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इसी बीच कोर्ट ने टिप्पणी की न्यायालय संवेदनाओं से इतर साक्ष्यों के आधार पर निर्णय देती है।
इस पर मिश्रा साहब द्वारा कोर्ट के समक्ष उन तमाम सबूतों को पेश किया गया जिनके आधार पर सिंगल बेंच ने 14 प्रश्न डिस्प्यूट माने, इन तमाम साक्ष्यों से कोर्ट सहमत दिखी।
कोर्ट में आज 5 प्रश्न मल्टीपल, 5 ऐसे, जो गलत या कोई भी विकल्प सही नही पर विस्तृत बहस जारी रही। हिंदी के मुहावरा वाले प्रश्न पर इतनी बड़ी गलती करके पीएनपी ने दो ऑप्शन सही कर दिए तथा 4 प्रश्न आउट ऑफ सिलेबस पर बहस हुई।
मिश्रा जी द्वारा कोर्ट को बताया गया कि जब एनसीटीई ने सिलेबस दिया तो उसका पालन क्यों नही? आज की बहस से कोर्ट खासा सन्तुष्ट रही, यदि कोर्ट ने अपना विवेकाधिकार इस्तेमाल किया तो कॉमन नम्बर आने से कोई भी ताकत नही रोक सकती। क्योंकि साफ साफ झलक रहा है, माजरा है क्या?
इसी के साथ कल दिनांक:-23/03/2018* को फ्रेश केस के बाद बहस जारी रहेगी।
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