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बीएसए कार्यालय से शुरू हुआ शिक्षामित्रों का सत्याग्रह

कौशांबी : शिक्षामित्रों का समायोजन समाप्त होने के बाद से अब तक उनको मानदेय नहीं मिल सका। करीब छह माह से वह इसके लिए इन्तजार कर रहे थे। बुधवार को उनका आक्रोश फूट पड़ा। सैकड़ों शिक्षामित्रों ने बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के बाहर सत्याग्रह शुरू कर दिया।
इसके साथ ही बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय का घेराव करते हुए उनको ज्ञापन देकर समस्याओं के समाधान व मानदेय की मांग की।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ जिलाध्यक्ष रत्नाकर ¨सह ने कहा कि 25 जुलाई को शिक्षामित्रों का समायोजन समाप्त हो गया था। इसके बाद सभी को कोर्ट के आदेश पर पुन: शिक्षामित्र के पद पर वापस कर दिया गया। कहा कि छह माह का लंबा समय बीत गया, लेकिन किसी भी शिक्षामित्र को अब तक विभाग की ओर से मानदेय नहीं दिया गया। इतना ही नहीं इस संबंध में अधिकारियों को पत्र भी दिया गया। हर बार कोई न कोई बहाना बनाते हुए अड़ंगा लगा दिया जाता है। जिससे शिक्षामित्र परेशान है। कहा कि लेखाधिकारी कार्यालय ने सोमवार तक हर शिक्षामित्र का मानदेय देने का आश्वासन दिया था। तय समय बीत जाने के बाद भी अब तक किसी को कोई भुगतान नहीं मिला। प्रदेश उप मंत्री उदय ¨सह यादव ने कहा कि सरकार शिक्षामित्रों के हित को लेकर बात कर रही है। पर वह वास्तव में शिक्षामित्रों को लाभ दिए जाने के पक्ष में नहीं दिख रही। सरकार चाहे तो शिक्षामित्रों को उतराखंड की तर्ज पर वेतन देते हुए समायोजन को चार वर्ष का समय दे सकती है। कार्यालय के बाहर सत्याग्रह करने के बाद शिक्षामित्र बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुंचे। वहां उन्होंने बीएसए को ज्ञापन देकर छह माह से अवरुद्ध मानदेय दिए जाने की मांग की। साथ ही कहा कि वह अपनी मांगों को लेकर सांसद, विधायक व अन्य लोगों के आवास पर प्रदर्शन करते हुए सरकार को मांग पत्र भेजेंगे। इस मौके पर इरशाद अहमद, विद्या चरण शुक्ला, नथन सरोज, बीरेंद्र केसरवानी, भोलानाथ कुशवाहा व अन्य लोग मौजूद रहे। सहायक लेखा अधिकारी की लापरवाही से नहीं हुआ भुगतान शिक्षामित्रों का मानदेय सोमवार को उनके खाते में भेजा जाना था। इसके लिए अधिकारियों की ओर से बिल भी पास कर दिया गया। सहायक लेखा अधिकारी कार्यालय की ओर से बिल की दूसरी प्रति नहीं भेजी गई। जिसके कारण शिक्षामित्रों को भुगतान के लिए प्रदर्शन करने को मजबूर होना पड़ा।
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