डीएलएड (पूर्व में बीटीसी) 2018-19 सत्र में प्रवेश के लिए शुक्रवार से ऑनलाइन आवेदन शुरू होने जा रहे हैं। इसी के साथ एक बड़ा सवाल सामने खड़ा है कि आखिरकार दो लाख से अधिक इन प्रशिक्षुओं को नौकरी कहां मिलेगी। सरकारी नौकरी की चाह में पहले बीएड तो अब डीएलएड कोर्स करने की अंधी दौड़ मची है लेकिन कोई भी यह सोचने को तैयार नहीं है कि शिक्षकों के खाली पद हैं भी या नहीं। .
तमाम विवादों के बाद किसी तरह 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती शुरू होने जा रही है जिसमें अधिकतर बीटीसी 2014 व 2013 बैच के प्रशिक्षुओं ने आवेदन किया है। इससे पूर्व के बैच के बचे हुए प्रशिक्षुओं ने भी आवेदन किया है। वर्तमान में 2015 बैच के 80 हजार से अधिक प्रशिक्षु बीटीसी की ट्रेनिंग ले रहे हैं। 2017-18 सत्र में डीएलएड (उसी साल बीटीसी का नाम बदलकर डीएलएड किया गया) में प्रवेश लेने वाले प्रशिक्षु भी नौकरी की लाइन में हैं।.
2018-19 बैच शुरू होने के साथ ही दो लाख और बेरोजगारों सरकारी टीचर बनने की लाइन में खड़े हो जाएंगे। लेकिन हकीकत यह है कि प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के इतने पद नहीं हैं। हर साल तकरीबन 10 से 12 हजार प्राथमिक शिक्षक सेवानिवृत्त होते हैं। लेकिन यह संख्या इतने बेरोजगारों को समायोजित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। .
इलाहाबाद। एक ओर डीएलएड और बीटीसी प्रशिक्षण करके बेरोजगारों की भीड़ खड़ी हो रही है, वहीं दूसरी ओर सहायक अध्यापक पद पर समायोजन के बाद नौकरी गंवाने वाले सवा लाख से अधिक शिक्षामित्र भी पुराना पद वापस पाने के लिए प्रयासरत हैं। बड़ी संख्या में शिक्षामित्रों ने शिक्षक पात्रता परीक्षा भी दी थी। .
' 2017-18 सत्र में दो लाख से अधिक सीटों पर हुआ था प्रवेश.
' हर वर्ष 10-12 हजार प्राथमिक शिक्षक होते हैं सेवानिवृत्त .