पीसीएस 2015 सहित अन्य परीक्षाओं में को लेकर फंस रहे उप्र लोकसेवा आयोग
के पूर्व सदस्यों ने अब बचने का रास्ता तलाशना शुरू कर दिया है। एक पूर्व
सदस्य तो सीबीआइ के संपर्क में भी हैं। आयोग के पूर्व अध्यक्ष डा. अनिल
यादव के खास शख्स से भी सीबीआइ को मदद मिलनी शुरू हो गई है।
आयोग कर्मियों
के टूटने के बाद पूर्व सदस्यों के भी पाले में आने से सीबीआइ के लिए
भर्तियों की जांच का काम आसान हो चला है।1आयोग में डा. अनिल यादव के
अध्यक्ष रहते परीक्षा समिति में शामिल एक सदस्य पर पहले भी घोटाले के आरोप
लगे थे। उस घोटाले की भी सीबीआइ जांच हो रही है। संवैधानिक पद पर रहते उस
सदस्य से सीबीआइ पूछताछ नहीं कर सकी, जबकि अब वही सदस्य आयोग से विभिन्न
परीक्षाओं में अभ्यर्थियों के हुए की भी सीबीआइ जांच में फंस रहे हैं। इस
दोहरी मार से बचने को उन्होंने जुगत लगानी शुरू कर दी है। हालांकि इसके
आसार कम हैं कि आयोग से अभ्यर्थियों के में उनका बचाव हो सके लेकिन, उन्हें
सीबीआइ को साक्ष्य देने के चलते कुछ राहत जरूर मिल सकती है। सूत्र बताते
हैं कि डा. अनिल यादव के आयोग में खास रहे एक अन्य अधिकारी ने भी सीबीआइ से
संपर्क साधने का प्रयास शुरू कर दिया है। उस अधिकारी को नियमों के विपरीत
जाकर डा. अनिल यादव ने ही तैनात करवाया था। भर्तियों की जांच में अब तक
अभिलेखीय रिकार्ड ही ले रही सीबीआइ को आयोग कर्मियों और जिम्मेदार पदों पर
रहे अधिकारियों का भी सहयोग मिलने से जांच कार्य आसान हो चला है।’
दोहरे घोटाले में फंसने के बाद बचने को तलाश रहे रास्ता
कर्मियों के गवाह बनने के बाद जिम्मेदार पदों पर रहे लोगों से मिली मदद
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