कोर्ट ने प्रमुख सचिव से नाराजगी भी जाहिर की लेकिन सरकारी वकील के कहने पर अंतिम मौका देते हुए जवाब मांगा गया। यह आदेश जस्टिस एस पी केसरवानी ने अवनीश कुमार और 15 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मई 2018 में अवनीश कुमार की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी और प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से 18 जुलाई को जवाब मांगा था लेकिन 18 जुलाई को सरकार की ओर से कोर्ट में जवाब दाखिल नहीं किया गया, जिसके बाद कोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को 30 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होने और शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया था। जवाब में ना तो प्रमुख सचिव पेश हुए और न ही जवाब दाखिल किया गया इसलिए कोर्ट ने इसे आदेश की अवमानना की तरह माना।
यह था मामला
बेसिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों के 12460 पदों पर भर्ती के लिए समाजवादी पार्टी शासनकाल में 2016 में विज्ञप्ति जारी हुई थी लेकिन मार्च 2017 में प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद मौखिक आदेश पर भर्ती प्रक्रिया पर रोक लग गई थी। हाई कोर्ट के आदेश पर ही अप्रैल 2018 में भर्ती प्रक्रिया दोबारा शुरू हुई लेकिन सहायक अध्यापकों की भर्ती में बेसिक शिक्षक भर्ती रूल्स 1981 के विपरीत सभी जिलों से बीटीसी की ट्रेनिंग करने वाले अभ्यर्थियों को आवेदन का मौका दिया गया जबकि नियम के मुताबिक, उस जिले से ट्रेनिंग करने वाले अभ्यर्थियों को वरीयता मिलनी चाहिए। ऐसा नहीं होने पर याचिकाकर्ता अवनीश कुमार ने हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दाखिल कर बेसिक शिक्षक भर्ती रूल्स 1981 का अनुपालन न करने को चुनौती दी थी।