इलाहाबाद। करिश्मा सागर 68500 पदों के लिए आयोजित
शिक्षक परीक्षा में शामिल हुईं थीं। उन्हें पूरा भरोसा था कि परीक्षा में
सफलता जरूर मिलेगी लेकिन परिणाम आया तो पैरों तले जमीन खिसक गई।
उन्हें
शून्य अंक मिला। करिश्मा की तरह कई अभ्यर्थियों के प्राप्तांक को लेकर ऐसा
ही विवाद सामने आया है। अभ्यर्थियों ने सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी
कार्यालय में अपनी शिकायत दर्ज कराई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अभ्यर्थी
अब न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी में हैं।
परीक्षा का परिणाम जारी
हो चुका है और 68500 में से 41556 पदों के लिए अभ्यर्थियों ने क्वालीफाई
किया है। तकरीबन 27 हजार पद अब भी खाली हैं। अगर परीक्षार्थियों के अंकों
से खिलवाड़ हुआ है तो यह गंभीर मसला है, क्योंकि पद रिक्त होने के बावजूद
योग्य अभ्यर्थी चयन से वंचित रह गए। अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्होंने
सवालों के जो जवाब दिए थे, उनका उत्तरकुंजी से मिलान किया। जितना नंबर
मिलना चाहिए था, उतना नहीं मिला। पूजा को 37 अंक मिले जबकि उसका दावा है कि
उसने 80 अंक के सवाल सही किए और कॉपी का मूल्यांकन ठीक से न होने के कारण
नंबर कम मिला।
इसी तरह राजेशा कुमार को 11 अंक मिले हैं और उनका दावा
है कि 100 अंक मिलने चाहिए थे। प्रीति भारती को 48 अंक मिले जबकि उन्होंने
98 अंकों का दावा किया है। विनोद चौधरी को 48 अंक मिले हैं और उनका आरोप है
कि मूल्यांकन में गड़बड़ी होने के कारण 18 अंक कम मिले। रंजना जायसवाल को
60 अंक मिले और वह 85 अंकों का दावा कर रही हैं। अंकित कुमार को 53 और
कुलदीप को 16 अंक मिले जबकि दोनों क्रमश: 93 एवं 106 मिलने का दावा कर रहे
हैं। ऐसे ही तमाम अभ्यर्थियों ने अपनी शिकायत सचिव परीक्षा नियामक
प्राधिकारी कार्यालय में दर्ज कराई है। अभ्यर्थियों का कहना है कि उनकी कोई
सुनवाई नहीं हुई। कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन भी नहीं किया जा रहा है। अब
वे न्यायालय की शरण में जाएंगे।
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