इलाहाबाद : सीधी भर्ती से होने वाली चयन प्रक्रिया में बदलाव का निर्णय
कर उप्र लोक सेवा आयोग यानि यूपीपीएससी ने भर्तियों में अनियमितता दूर करने
की ओर कदम बढ़ाया है।
जबकि विशेषज्ञों की ओर से प्रश्नों व उत्तर के गलत
चयन पर यूपीपीएससी की कोई ठोस नीति न होने से स्क्रीनिंग परीक्षाएं स्वस्थ
होंगी? इसकी जिम्मेदारी अभी तय नहीं हो सकी है। राज्य सरकार के विभागों में
विभिन्न पदों पर काबिल लोगों के चयन में अब विशेषज्ञों की भी अहम भूमिका
होगी। ऐसे में केवल साक्षात्कार को ही अंतिम परिणाम का आधार न बनाकर उसमें
स्क्रीनिंग परीक्षा की अहमियत भी जुड़ने की व्यवस्था से यूपीपीएससी की डगर
आसान नहीं है।1यूपीपीएससी ने अभी तक सीधी भर्ती से राज्य सरकार के 48
विभागों में सेवाएं देने के लिए अभ्यर्थियों का चयन किया है। केवल पांच साल
के ही आंकड़े बताते हैं कि 30 हजार से अधिक पदों पर चयन सीधी भर्ती से हुए
हैं। इनमें कई में स्क्रीनिंग परीक्षा भी कराई गई लेकिन, उसके नंबर
साक्षात्कार के साथ जोड़ने की व्यवस्था नहीं थी। यहां तक कि स्क्रीनिंग
परीक्षा भी यूपीपीएससी अपने ही स्तर पर कराता रहा है इसकी कोई नियमावली
नहीं है। वहीं यूपीपीएससी की ओर से कराई जा चुकी अधिकांश प्रतियोगी
परीक्षाओं में विशेषज्ञों की गलतियों के चलते बड़ी तादाद में अभ्यर्थियों
को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है।
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