रिजल्ट आने के बाद से ही अभ्यर्थी इसमें गड़बड़ी का आरोप लगाकर परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय (पीएनपी) का घेराव कर रहे हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि मूल्यांकन के दौरान हुई गड़बड़ी के कारण ही बड़ी संख्या अभ्यर्थी चयन सूची से बाहर हो गए हैं।
चयन सूची से बाहर हुए दर्जनों अभ्यर्थियों ने उत्तर पुस्तिका की स्कैन कॉपी के लिए शुल्क भी जमा कर दिया है। हालांकि मंगलवार को उन्हें आश्वासन के बाद भी कॉपी उपलब्ध नहीं कराई गई। गुरुवार को इस मामले को लेकर अभ्यर्थियों ने पीएनपी पर प्रदर्शन तेज करने की चेतावनी दी है। इसके साथ ही इस परीक्षा को लेकर कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने का निर्णय भी ले लिया है।
मूल्यांकन में गड़बड़ी का आरोप
अभ्यर्थियों का कहना है कि, उनकी कॉपी का मूल्यांकन सही तरीके से नहीं किया गया। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से जारी आंसरशीट से अपनी कार्बन कॉपी का मिलान करने पर सही उत्तरों की संख्या अधिक है, जबकि घोषित परिणाम में उन्हें कम अंक मिले हैं। रिजल्ट आने के बाद से ही प्रदेश के अलग-अलग जिलों से अभ्यर्थी पीएनपी विरोध दर्ज कराने पहुंच रहे हैं। हालांकि शासनादेश का हवाला देते हुए सचिव पहले ही पुर्नमूल्यांकन से इनकार कर चुकी हैं।
आश्वासन दिया पर कॉपियां नहीं
अब अभ्यर्थियों को स्कैन कॉपी का ही सहारा है। मंगलवार को पीएनपी पहुंचे अनूप सिंह, मो. अजमल, अनिरुद्ध शुक्ला, अंकित वर्मा, विशाल प्रताप, खुशबू गहलोत, पूजा भारती, लाल जी यादव, राकेश यादव, नंदराज, मनोज कुमार ने बताया कि, उन्होंने दो हजार रुपये का ड्राफ्ट पीएनपी के नाम जमा कर दिया है। उन्हें 21 अगस्त को स्कैन कॉपी देने का आश्वासन दिया गया था लेकिन सचिव डॉ. सुत्ता सिंह मंगलवार को नहीं मिलीं, जबकि शिक्षक भर्ती के लिए 28 अगस्त तक ही आवेदन किए जा सकते हैं। इसलिए 23 अगस्त को स्कैन्ड कॉपी की मांग को लेकर बड़ी संख्या में अभ्यर्थी पीएनपी पहुंचेंगे। इस संबंध में सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी डॉ सुत्ता सिंह से बात करने की कोशिश की गयी लेकिन उनका फोन नहीं उठा।
ऐसे-ऐसे लग रहे आरोप
शिक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल पूजा का दावा है कि, उन्होंने अपना जो मूल्यांकन किया है उसके मुताबिक उन्हें 80 नंबर मिलने चाहिए था लेकिन 37 नंबर ही मिले हैं। इसी प्रकार करिश्मा सागर को 0, राजेश कुमार को 11 नंबर और प्रीती भारती को 48 नंबर मिले हैं। प्रीति का दावा है कि, उनके 98 नंबर होने चाहिए थे। रंजना जायसवाल का दावा है कि, उन्हें 85 नंबर मिलने चाहिए थे लेकिन उन्हें 60 नंबर मिले। इसी तरह अंकित मौर्य को उनके दावे 93 की जगह 53 नंबर ही मिले हैं। आरोप यह भी लग रहे हैं कि, बहुत ऐसे अभ्यर्थी हैं जो शिक्षक बनने के काबिल नहीं हैं लेकिन उन्हें पास कर दिया गया है।