8,500 सहायक अध्यापक भर्ती प्रकिया पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सख्त टिप्पणी , मामले में 27 सितम्बर को अगली सुनवाई

लखनऊ. प्रदेश में 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती प्रकिया पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सख्त टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने इस भर्ती प्रक्रिया को ही गड़बड़ और भ्रष्ट बतया है।
कोर्ट गंभीर अनियमिता पर नाराज़गी जताते हुए कैंडिडेट की कॉपी में बार कोड का मिलान न होने की बात कही है। इसके अलावा मामले में अब तक जांच रिपोर्ट न पेश करने पर भी नाराज़गी जताई। कोर्ट ने मामले में 27 सितम्बर को अगली सुनवाई तय की है। साथ ही कहा कि अगर अगली सुनवाई में जांच रिपोर्ट नहीं आती है तो चेयरमैन, भर्ती बोर्ड को खुद अदालत में हाजिर होना पड़ेगा।
बता दें 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती को लेकर पिछले कई दिनों से बवाल मचा हुआ। इसके लेकर राजधानी लखनऊ में काफी विरोध प्रदर्शन किए गे। सबसे पहले कापियों के मूल्यांकन में गड़बड़ी सामने आने और कट ऑफ बदलकर रिजल्ट घोषित किए जाने को लेकर अभ्यर्थियों ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय पर धावा बोल दिया है. भर्ती में शामिल रहे सैकड़ों अभ्यर्थियों ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के बाहर सोमवार से धरना शुरू कर दिया है। अभ्यर्थियों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कट ऑफ मार्क 30 और 32 प्रतिशत करने और भर्ती में रिक्त 27 हजार पदों को भरे जाने की मांग की है। धरना दे रहे अभ्यर्थियों ने कट ऑफ कम कर सभी को नौकरी न दिए जाने पर पूरी भर्ती प्रक्रिया को ही रद्द करने की मांग की है।
मूल्यांकन के लिए आधार कार्ड जरूरी

यूपी बोर्ड परीक्षा में परीक्षा की कॉपियां जांचने के लिए शिक्षकों के पास आधार कार्ड होना जरूरी हो गया। इसके तहत मूल्यांकन कार्य करने वाले वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों को अपने आधार का ब्योरा देना होगा, बिना इसके वह बोर्ड की कॉपियां नहीं जांच सकेंगे। इनपर यह नियम विशेष रूप से लागू होगा, क्योंकि विभाग के पास वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों का लेखाजोखा नहीं होता है। यूपी बोर्ड की परीक्षाएं फरवरी के दूसरे सप्ताह से शुरू होकर मार्च के पहले हफ्ते में ही खत्म हो जाएंगी। इसके बाद कॉपियों का मूल्यांकन कार्य शुरू हो जाएगा। परीक्षा शुरू होने से पहले ही उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के लिए परीक्षकों की तैनाती की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। बोर्ड की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए राजकीय, सहायता प्राप्त और वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों की तैनाती की जाती है।