69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में डेढ़ वर्ष तक मामला कोर्ट में होने के
चलते विराम लगा था। अब कोर्ट की रोक हटने के साथ जैसे ही परिणाम जारी किया
गया, शिक्षक भर्ती से बाहर हो रहे अभ्यर्थियों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल
दिया है।
जानकारों का कहना है कि यदि सरकार ने शिक्षक भर्ती को पूरा करने के लिए बीच का रास्ता नहीं निकाला तो भविष्य में इस भर्ती के खिलाफ कोर्ट में याचिकाओं की बाढ़ आ सकती है। शिक्षक भर्ती का 12 मई को परिणाम जारी होने और उसके बाद एक जून को भर्ती के लिए मेरिट जारी होने के बाद लगातार विरोध बढ़ता जा रहा है।
यूपी टीईटी उत्तीर्ण शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष अनुराग सिंह का कहना है कि सरकार अपनी जिद पर न अड़ी रहे, बल्कि बेरोजगारों के हित में चार विवादित प्रश्नों को मूल्यांकन से बाहर कर कोर्ट की अनुमति लेकर भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाए, नहीं तो इस भर्ती की मुश्किलें बढ़ती जाएंगी। चयन प्रक्रिया से बाहर हुए अभ्यर्थियों के पास कई ऐसे मुद्दे हैं, जिसको लेकर वह कोर्ट जा सकते हैं। अनुराग सिंह का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान ही पुलिस ने परीक्षा में नकल कराने वाले साल्वर गैंग और मास्टरमाइंड को पकड़ा है। अब जांच के दौरान यदि पता चला कि परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र लीक हुआ था तो उसे लेकर अभ्यर्थी एक बार फिर से कोर्ट जा सकते हैं। इन मुद्दों को लेकर 6 जनवरी 2019 को परीक्षा के बाद भी परीक्षार्थी आंदोलन कर चुके हैं, इसके खिलाफ कोर्ट में मामला लंबित है। उनका कहना है कि बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से 68500 शिक्षक भर्ती प्रकरण पर एमआरसी के संबंध में आए न्यायालय के आदेश के अनुपालन से आरक्षित वर्ग की सीट को लेकर हुए नुकसान के विरोध में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी न्यायालय जा रहे हैं। उन्होंने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है।
0 शिक्षक भर्ती जारी होने से पहले ईडब्ल्यूएस के आरक्षण को लेकर अधिसूचना जारी की जा चुकी है, इसके बाद भी इस भर्ती में आर्थिक रूप से पिछड़ों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया। इसको लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल हो चुकी है। कुछ अभ्यर्थी शिक्षक भर्ती में त्रिस्तरीय आरक्षण की मांग भी उठा रहे हैं। --
0 68500 भर्ती में ओबीसी का कट ऑफ अनारक्षित वर्ग के कट ऑफ के बराबर था ।
69000 शिक्षक भर्ती में अनुसूचित जाति के बराबर कर दिया गया है, जिससे
ओबीसी के लगभग 25000 अधिक अभ्यर्थी पास हो गए हैं। ओबीसी का पासिंग मार्क
जो कि वर्तमान में 90 है, उसे 97 करने के लिए अनारक्षित अभ्यर्थी याचिका
दाखिल कर सकते हैं। --
0 शिक्षक भर्ती में 8018 शिक्षामित्रों को चयन वेटेज मिलने से मेरिट में टॉप करने से अनारक्षित सीट पर उनका चयन होने से सामान्य वर्ग के हो रहे नुकसान को देखते हुए शिक्षामित्रों को उनके वर्ग तक सीमित रखने के लिए याचिका दाखिल करने की तैयारी है। अभ्यर्थियों का कहना है कि उनके स्कूल में शिक्षामित्र के रूप में उनका चयन आरक्षण कोटे के अनुसार हुआ है, ऐसे में एक बार जिस वर्ग में चयन हो गया, शिक्षामित्रों को उसी वर्ग में शिक्षक भी बनाया जाना चाहिए।
0 शिक्षामित्रो को भर्ती वेटेज 15 अंक से अधिक नहीं दिया जा सकता। इस संबंध में राजस्थान शिक्षक भर्ती प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय भी आ चुका है। परन्तु 69000 भर्ती में 25 अंक का वेटेज दिया जा रहा है। यह मुद्दा भी कभी भी कोर्ट पहुंच सकता है ।
0 68500 भर्ती में नियुक्त कई अध्यापक एनओसी लेकर 69000 भर्ती में भी अभ्यर्थी बन गए हैं। समान पद के लिए एनओसी दिया जाना गलत है। यह मुद्दा भी कोर्ट पहुंच सकता है।
0 68500 भर्ती में 22000 सीट खाली रह गईं थीं, यह पर 1.37 लाख शिक्षामित्रों की नौकरी जाने के बाद सृजित किए गए थे। खाली पदों को शिक्षामित्रों से भरने के लिए यह मुद्दा कोर्ट जा सकता है।
जानकारों का कहना है कि यदि सरकार ने शिक्षक भर्ती को पूरा करने के लिए बीच का रास्ता नहीं निकाला तो भविष्य में इस भर्ती के खिलाफ कोर्ट में याचिकाओं की बाढ़ आ सकती है। शिक्षक भर्ती का 12 मई को परिणाम जारी होने और उसके बाद एक जून को भर्ती के लिए मेरिट जारी होने के बाद लगातार विरोध बढ़ता जा रहा है।
यूपी टीईटी उत्तीर्ण शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष अनुराग सिंह का कहना है कि सरकार अपनी जिद पर न अड़ी रहे, बल्कि बेरोजगारों के हित में चार विवादित प्रश्नों को मूल्यांकन से बाहर कर कोर्ट की अनुमति लेकर भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाए, नहीं तो इस भर्ती की मुश्किलें बढ़ती जाएंगी। चयन प्रक्रिया से बाहर हुए अभ्यर्थियों के पास कई ऐसे मुद्दे हैं, जिसको लेकर वह कोर्ट जा सकते हैं। अनुराग सिंह का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान ही पुलिस ने परीक्षा में नकल कराने वाले साल्वर गैंग और मास्टरमाइंड को पकड़ा है। अब जांच के दौरान यदि पता चला कि परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र लीक हुआ था तो उसे लेकर अभ्यर्थी एक बार फिर से कोर्ट जा सकते हैं। इन मुद्दों को लेकर 6 जनवरी 2019 को परीक्षा के बाद भी परीक्षार्थी आंदोलन कर चुके हैं, इसके खिलाफ कोर्ट में मामला लंबित है। उनका कहना है कि बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से 68500 शिक्षक भर्ती प्रकरण पर एमआरसी के संबंध में आए न्यायालय के आदेश के अनुपालन से आरक्षित वर्ग की सीट को लेकर हुए नुकसान के विरोध में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी न्यायालय जा रहे हैं। उन्होंने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है।
0 शिक्षक भर्ती जारी होने से पहले ईडब्ल्यूएस के आरक्षण को लेकर अधिसूचना जारी की जा चुकी है, इसके बाद भी इस भर्ती में आर्थिक रूप से पिछड़ों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया। इसको लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल हो चुकी है। कुछ अभ्यर्थी शिक्षक भर्ती में त्रिस्तरीय आरक्षण की मांग भी उठा रहे हैं। --
0 शिक्षक भर्ती में 8018 शिक्षामित्रों को चयन वेटेज मिलने से मेरिट में टॉप करने से अनारक्षित सीट पर उनका चयन होने से सामान्य वर्ग के हो रहे नुकसान को देखते हुए शिक्षामित्रों को उनके वर्ग तक सीमित रखने के लिए याचिका दाखिल करने की तैयारी है। अभ्यर्थियों का कहना है कि उनके स्कूल में शिक्षामित्र के रूप में उनका चयन आरक्षण कोटे के अनुसार हुआ है, ऐसे में एक बार जिस वर्ग में चयन हो गया, शिक्षामित्रों को उसी वर्ग में शिक्षक भी बनाया जाना चाहिए।
0 शिक्षामित्रो को भर्ती वेटेज 15 अंक से अधिक नहीं दिया जा सकता। इस संबंध में राजस्थान शिक्षक भर्ती प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय भी आ चुका है। परन्तु 69000 भर्ती में 25 अंक का वेटेज दिया जा रहा है। यह मुद्दा भी कभी भी कोर्ट पहुंच सकता है ।
0 68500 भर्ती में नियुक्त कई अध्यापक एनओसी लेकर 69000 भर्ती में भी अभ्यर्थी बन गए हैं। समान पद के लिए एनओसी दिया जाना गलत है। यह मुद्दा भी कोर्ट पहुंच सकता है।
0 68500 भर्ती में 22000 सीट खाली रह गईं थीं, यह पर 1.37 लाख शिक्षामित्रों की नौकरी जाने के बाद सृजित किए गए थे। खाली पदों को शिक्षामित्रों से भरने के लिए यह मुद्दा कोर्ट जा सकता है।