प्रयागराज : परीक्षा प्रणाली में निष्पक्षता व पारदर्शिता लाने के लिए उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग में बदलाव का दौर जारी है। आयोग में विषय विशेषज्ञों की नई नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। उम्मीद है कि जुलाई में आयोग में नए विशेषज्ञों की नियुक्ति हो जाएगी। विशेषज्ञों के आते ही उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए स्केलिंग व मॉडरेशन प्रक्रिया की खामियां दूर की जाएंगी। दोनों प्रक्रियाओं में मनमाने नंबर बढ़ाने व घटाने के आरोप लगते रहे हैं। सीबीआइ मॉडरेशन व स्केलिंग की आड़ में नंबरों में किए गए हेर-फेर को पकड़ चुकी है। प्रतियोगियों ने भी आयोग से इस प्रक्रिया में बदलाव की मांग की है।
प्रतियोगी परीक्षाओं की कापियां जांचने के लिए मॉडरेशन प्रक्रिया अपनाई जाती है। नियमत: हंिदूी व निबंध जैसे अनिवार्य विषयों में मॉडरेशन प्रक्रिया अपनायी जाती है। इसमें विषय विशेषज्ञ मॉडल के रूप में एक कापी जांचते हैं। वह जिस प्रश्न में जितना नंबर देते हैं उतना ही नंबर कापी जांचने वाले सारे अध्यापकों को देना होता है। वह अपनी मर्जी से नंबर घटा व बढ़ा नहीं सकते। लेकिन, बीती परीक्षाओं में सारी कापियों में मूल्यांकन करने वालों पर मनमाना नंबर देने का आरोप लगा है। वहीं, स्केलिंग प्रक्रिया विषयों व कापी जांचने वाले अध्यापकों के बीच साम्यता लाने के लिए अपनाई जाती है। हर विषय की कापी एक साथ जांची जाती है। फिर कापियों का बंडल कंप्यूटर विभाग में भेजा जाता है। वहां कंप्यूटर में नंबर दर्ज किया जाता है। उसी दौरान नंबरों में हेर-फेर करने की शिकायत आती रही है।
सीबीआइ ने पकड़ी गड़बड़ी : पीसीएस 2011 व 15 में मॉडरेशन में की गई गड़बड़ी पर सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज कराई है। जबकि स्केलिंग प्रक्रिया में एपीएस 2010, अवर अधीनस्थ 2013, समीक्षा अधिकारी 2014 में सीबीआइ को गड़बड़ी मिली है। इसमें कापियों व कंप्यूटर में दर्ज नंबरों में काफी अंतर मिला है। साथ ही कापियों में पहले दिए गए नंबरों को काटकर बढ़ाया गया है।
बनाया जाएगा विशेष पैनल
आयोग स्केलिंग व मॉडरेशन प्रक्रिया को ठीक करने में जुटा है। सूत्रों का कहना है कि अनायास किसी का नंबर कम व ज्यादा न हो, उस पर नजर रखने को विशेष पैनल बनाया जाएगा। वह जांची गई कापियों में दिए गए नंबरों को देखेंगे कि वह नियमानुसार है अथवा नहीं। साथ ही कापियों व कंप्यूटर में दर्ज नंबरों का मिलान करेंगे कि उसमें हेर-फेर तो नहीं किया गया। इसके अलावा पिछली परीक्षाओं में नंबर कैसे घटाए व बढ़ाए गए हैं, उसकी पड़ताल चल रही है।
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प्रतियोगी परीक्षाओं की कापियां जांचने के लिए मॉडरेशन प्रक्रिया अपनाई जाती है। नियमत: हंिदूी व निबंध जैसे अनिवार्य विषयों में मॉडरेशन प्रक्रिया अपनायी जाती है। इसमें विषय विशेषज्ञ मॉडल के रूप में एक कापी जांचते हैं। वह जिस प्रश्न में जितना नंबर देते हैं उतना ही नंबर कापी जांचने वाले सारे अध्यापकों को देना होता है। वह अपनी मर्जी से नंबर घटा व बढ़ा नहीं सकते। लेकिन, बीती परीक्षाओं में सारी कापियों में मूल्यांकन करने वालों पर मनमाना नंबर देने का आरोप लगा है। वहीं, स्केलिंग प्रक्रिया विषयों व कापी जांचने वाले अध्यापकों के बीच साम्यता लाने के लिए अपनाई जाती है। हर विषय की कापी एक साथ जांची जाती है। फिर कापियों का बंडल कंप्यूटर विभाग में भेजा जाता है। वहां कंप्यूटर में नंबर दर्ज किया जाता है। उसी दौरान नंबरों में हेर-फेर करने की शिकायत आती रही है।
सीबीआइ ने पकड़ी गड़बड़ी : पीसीएस 2011 व 15 में मॉडरेशन में की गई गड़बड़ी पर सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज कराई है। जबकि स्केलिंग प्रक्रिया में एपीएस 2010, अवर अधीनस्थ 2013, समीक्षा अधिकारी 2014 में सीबीआइ को गड़बड़ी मिली है। इसमें कापियों व कंप्यूटर में दर्ज नंबरों में काफी अंतर मिला है। साथ ही कापियों में पहले दिए गए नंबरों को काटकर बढ़ाया गया है।
बनाया जाएगा विशेष पैनल
आयोग स्केलिंग व मॉडरेशन प्रक्रिया को ठीक करने में जुटा है। सूत्रों का कहना है कि अनायास किसी का नंबर कम व ज्यादा न हो, उस पर नजर रखने को विशेष पैनल बनाया जाएगा। वह जांची गई कापियों में दिए गए नंबरों को देखेंगे कि वह नियमानुसार है अथवा नहीं। साथ ही कापियों व कंप्यूटर में दर्ज नंबरों का मिलान करेंगे कि उसमें हेर-फेर तो नहीं किया गया। इसके अलावा पिछली परीक्षाओं में नंबर कैसे घटाए व बढ़ाए गए हैं, उसकी पड़ताल चल रही है।
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