उत्तर प्रदेश सरकार ने सहायक शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक नयी अर्जी दाखिल कर कोर्ट से गत 21 मई और 9 जून के आदेश में बदलाव करने का अनुरोध किया है। सरकार ने उन आदेशों में सहायक शिक्षक की तरह काम कर रहे शिक्षामित्रों को न डिस्टर्ब किये जाने के संदर्भ में संशोधन की मांग करते हुए कहा है कि इस समय कोई शिक्षामित्र सहायक शिक्षक की तरह काम नहीं कर रहा है।
अर्जी में कोर्ट से एटीआरइ 2019 के आधार पर 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती और चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की इजाजत मांगी गई है। साथ ही कोर्ट के सामने भर्ती परीक्षा में शामिल हुए शिक्षामित्रों का ब्योरा भी पेश किया है।
21 मई और 9 जून के आदेश में संशोधन का आग्रह
प्रदेश सरकार की अर्जी में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के 21 मई और 9 जून के आदेश में कहा गया है कि सहायक शिक्षक के तौर पर काम कर रहे शिक्षामित्रों को डिस्टर्ब न किया जाए लेकिन सुप्रीम कोर्ट के शिक्षामित्रों के बारे में दिये गए 2017 के मूल आदेश के बाद कोई भी शिक्षामित्र सहायक शिक्षक की तरह काम नहीं कर रहा है।
कोई भी शिक्षामित्र सहायक शिक्षक की तरह काम नहीं कर रहा
मूल फैसला आने से पहले सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित किये गए सभी शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षामित्र पद पर वापस कर दिये गए थे। और इसके बाद 2019 में सहायक शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया और परीक्षा हुई थी। जिसमें जनवरी 2019 को हुई 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती परीक्षा में न्यूनतम योग्यता अंक सामान्य वर्ग के लिए 65 और आरक्षित वर्ग के लिए 60 फीसद रखे गए थे। सरकार के न्यूनतम योग्यता अंक 65 और 60 फीसद तय करने के आदेश को ही शिक्षामित्रों ने इस लंबित मामले में चुनौती दी है और न्यूनतम योग्यता अंक 45 और 40 फीसद करने की मांग की है। शिक्षामित्रों की इसी याचिका पर कोर्ट ने 21 मई और 9 जून को अंतरिम आदेश जारी किये थे जिसमें परीक्षा में शामिल शिक्षामित्रों के अंकों का ब्योरा राज्य सरकार से मांगा था साथ ही कहा था कि जो शिक्षामित्र सहायक शिक्षक के तौर पर काम कर रहे हैं उन्हें न डिस्टर्ब किया जाए।
यूपी में इस समय 1,52,330 शिक्षामित्र काम कर रहे हैं
प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों का ब्योरा देते हुए कहा है कि प्रदेश में इस समय कुल 152330 शिक्षामित्र काम कर रहे हैं। जिसमें से एटीआरइ परीक्षा 2019 में 45357 ने भाग लिया। परीक्षा में शामिल हुए शिक्षामित्रों में से सामान्य वर्ग के 9386 शिक्षामित्रों ने 45 फीसद से ज्यादा और 65 फीसद से कम अंक अर्जित किये। जबकि आरक्षित वर्ग में 23243 शिक्षामित्रों ने 40 फीसद से ज्यादा और 60 फीसद से कम अंक अर्जित किये। यानी कुल 32629 शिक्षामित्रों ने तय न्यूनतम अंक से कम अंक अर्जित किये। इसके अलावा सामान्य वर्ग के 1561 शिक्षामित्रों ने 65 फीसद से ज्यादा और 6457 आरक्षित वर्ग के शिक्षामित्रों ने 60 फीसद या उससे ज्यादा अंक अर्जित किये। ये संख्या कुल 8018 है।
37339 पदों को छोड़ कर बाकी पर भर्ती करना व्यवहारिक नहीं - यूपी सरकार
सरकार ने कहा है कि कोर्ट ने 9 जून के आदेश में कहा है कि सरकार 37339 पदों को छोड़ कर बाकी पर सहायक शिक्षकों की भर्ती कर सकती है, लेकिन 37339 पदों को छोड़ कर बाकी पर भर्ती करना व्यवहारिक नहीं है क्योंकि सभी एक साथ चयनित हुए हैं। ऐसा करने से जिला आवंटित करने, और विभिन्न आरक्षित श्रेणियों और मेरिट को संयोजित करने में दिक्कत होगी।
69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती की मांगी इजाजत
सरकार ने कहा है कि सहायक शिक्षकों के बहुत से पद खाली हैं जिनका विज्ञापन अभी नहीं निकाला गया है ऐसे में अगर इनकी याचिका सफल होती है तो उन्हें बाद में खाली पदों पर नियुक्ति मिल सकती है। अभी कोर्ट राज्य सरकार को मौजूदा परीक्षा में पास हुए 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती पूरी करने की इजाजत दे दे।
अर्जी में कोर्ट से एटीआरइ 2019 के आधार पर 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती और चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की इजाजत मांगी गई है। साथ ही कोर्ट के सामने भर्ती परीक्षा में शामिल हुए शिक्षामित्रों का ब्योरा भी पेश किया है।
21 मई और 9 जून के आदेश में संशोधन का आग्रह
प्रदेश सरकार की अर्जी में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के 21 मई और 9 जून के आदेश में कहा गया है कि सहायक शिक्षक के तौर पर काम कर रहे शिक्षामित्रों को डिस्टर्ब न किया जाए लेकिन सुप्रीम कोर्ट के शिक्षामित्रों के बारे में दिये गए 2017 के मूल आदेश के बाद कोई भी शिक्षामित्र सहायक शिक्षक की तरह काम नहीं कर रहा है।
कोई भी शिक्षामित्र सहायक शिक्षक की तरह काम नहीं कर रहा
मूल फैसला आने से पहले सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित किये गए सभी शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षामित्र पद पर वापस कर दिये गए थे। और इसके बाद 2019 में सहायक शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया और परीक्षा हुई थी। जिसमें जनवरी 2019 को हुई 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती परीक्षा में न्यूनतम योग्यता अंक सामान्य वर्ग के लिए 65 और आरक्षित वर्ग के लिए 60 फीसद रखे गए थे। सरकार के न्यूनतम योग्यता अंक 65 और 60 फीसद तय करने के आदेश को ही शिक्षामित्रों ने इस लंबित मामले में चुनौती दी है और न्यूनतम योग्यता अंक 45 और 40 फीसद करने की मांग की है। शिक्षामित्रों की इसी याचिका पर कोर्ट ने 21 मई और 9 जून को अंतरिम आदेश जारी किये थे जिसमें परीक्षा में शामिल शिक्षामित्रों के अंकों का ब्योरा राज्य सरकार से मांगा था साथ ही कहा था कि जो शिक्षामित्र सहायक शिक्षक के तौर पर काम कर रहे हैं उन्हें न डिस्टर्ब किया जाए।
यूपी में इस समय 1,52,330 शिक्षामित्र काम कर रहे हैं
प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों का ब्योरा देते हुए कहा है कि प्रदेश में इस समय कुल 152330 शिक्षामित्र काम कर रहे हैं। जिसमें से एटीआरइ परीक्षा 2019 में 45357 ने भाग लिया। परीक्षा में शामिल हुए शिक्षामित्रों में से सामान्य वर्ग के 9386 शिक्षामित्रों ने 45 फीसद से ज्यादा और 65 फीसद से कम अंक अर्जित किये। जबकि आरक्षित वर्ग में 23243 शिक्षामित्रों ने 40 फीसद से ज्यादा और 60 फीसद से कम अंक अर्जित किये। यानी कुल 32629 शिक्षामित्रों ने तय न्यूनतम अंक से कम अंक अर्जित किये। इसके अलावा सामान्य वर्ग के 1561 शिक्षामित्रों ने 65 फीसद से ज्यादा और 6457 आरक्षित वर्ग के शिक्षामित्रों ने 60 फीसद या उससे ज्यादा अंक अर्जित किये। ये संख्या कुल 8018 है।
37339 पदों को छोड़ कर बाकी पर भर्ती करना व्यवहारिक नहीं - यूपी सरकार
सरकार ने कहा है कि कोर्ट ने 9 जून के आदेश में कहा है कि सरकार 37339 पदों को छोड़ कर बाकी पर सहायक शिक्षकों की भर्ती कर सकती है, लेकिन 37339 पदों को छोड़ कर बाकी पर भर्ती करना व्यवहारिक नहीं है क्योंकि सभी एक साथ चयनित हुए हैं। ऐसा करने से जिला आवंटित करने, और विभिन्न आरक्षित श्रेणियों और मेरिट को संयोजित करने में दिक्कत होगी।
69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती की मांगी इजाजत
सरकार ने कहा है कि सहायक शिक्षकों के बहुत से पद खाली हैं जिनका विज्ञापन अभी नहीं निकाला गया है ऐसे में अगर इनकी याचिका सफल होती है तो उन्हें बाद में खाली पदों पर नियुक्ति मिल सकती है। अभी कोर्ट राज्य सरकार को मौजूदा परीक्षा में पास हुए 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती पूरी करने की इजाजत दे दे।