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69000 शिक्षक भर्ती: विसंगति दूर होने पर नियुक्ति तो मिलेगी पर मेरिट नहीं बदलेगी, देखें शासन द्वारा जारी गाइडलाइन की खास बातें

 लखनऊ। 69 हजार शिक्षक भर्ती में मामूली विसंगति को दूर करने के लिए चयनित अभ्यर्थियों को अबसर देते हुए नियुक्ति तो दी जाएगी, लेकिन मेरिट में परिवर्तन नहीं किया जाएगा। बेसिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने शुक्रवार को इसका शासनादेश जारी किया है। जिन अभ्यर्थियों ने आवेदन पत्र में मूल

अंकपत्र के सापेक्ष प्राप्तांक कम या अधिक भरा था उनसे अंकपत्र की मूल प्रति प्राप्त कर उन्हें कम या अधिक अंकों के आधार पर नियुक्ति दी जाएगी। साथ ही यह शपथपत्र भी लिया जाएगा कि वह कम या अधिक अंक के आधार पर चयन से सहमत हैं, भविष्य में अधिक प्राप्तांक के आधार पर मेरिट परिवर्तन की मांग नहीं करेगा। 




विभाग ने स्पष्ट किया है कि बीएसए की ओर से आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 28 मई 2020 तक जारी निवास प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र को ही स्वीकार किया जाएगा। यह भी साफ किया है कि चयनित महिला अभ्यर्थी की किसी दूसरी जाति में शादी होने मात्र से उसकी जाति नहीं बदलेगी, बल्कि वही जाति मानी जाएगी जिसमें उसने जन्म लिया है। पति के जाति प्रमाण पत्र के आधार पर आरक्षण का लाभ प्राप्त कर चयनित होने वाली महिला अभ्यर्थियों का चयन निरस्त किया जाएगा।

गाइडलाइन की खास बातें 👇

*सीबीएसई, आईसीएसई बोर्ड के परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों
के बेस्ट पांच विषयों के अंकों के आधार पर औसत
निर्धारित किया जाएगा।

*प्रोविजनल सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने पर उसे स्वीकार कर
नियुक्त पत्र जारी किया जाएगा। मूल प्रमाण पत्र प्रस्तुत
के लिए तीन महीने का समय दिया जाएगा।

*काउंसिलिंग के समय पता परिवर्तन की अनुमति देते हुए
काउंसलिंग की कार्यवाही की जाएगी।

*गैर मान्यता प्राप्त संस्थान से बीएड या बीटीसी का प्रशिक्षण
करने वाले चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं मिलेगी।

*जो चयनित अभ्यर्थी पहले से परिषदीय में सहायक
अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं, उन्हें कार्यमुक्त नहीं किया
जाएगा।

*ऐसे चयनित अभ्यर्थी जो अन्य विभाग में कार्यरत हैं उन्हें
नियुक्ति पत्र जारी किया जाएगा। उन्हें मूल विभाग से
कार्यमुक्त होकर सहायक अध्यापक के पद पर कार्यभार
ग्रहण करने के लिए तीन महीने का समय दिया जाएगा.


*मूल अंकपत्र, प्रमात्रपत्र खोने की स्थिति में अभ्यर्थी को
मूल प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के लिए तीन महीने का समय
दिया जाएगा। तीन महीने में मूल प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं
करने पर चयन निरस्त किया जाएगा।

*संदिग्ध दिव्यांग प्रमाणपत्रों की जांच एक महीने में कराई
जाएगी।

*सीटेट के अंकों में अंतर होने पर स्वीकार नहीं किया
जाएगा।

*मूल दस्तावेजों में दर्ज जन्मतिथि के आधार पर पात्र होने
पर चयन निरस्त नहीं किया जाएगा।

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