उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों पर निशाना साधा है। उनका दावा है कि 69000 भर्ती में अनारक्षित के लिए
34589, ओबीसी 18598, एससी 14459 एवं एसटी के लिए 1354 पद आरक्षित थे। जिसमें एसटी के पर्याप्त अभ्यर्थी मौजूद न होने के कारण 1133 पद रिक्त रह गए। एक जून को अभ्यर्थियों की कैटेगरी, सब-कैटेगरी एवं गुणांक छुपाकर 67867 की विवादित अनंतिम चयन सूची जारी की गई।इस मामले की सुनवाई राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग नई दिल्ली में शुक्रवार को होनी थी लेकिन दो वरिष्ठ अधिकारियों के मौजूद नहीं होने के कारण 9 दिसंबर को तारीख लगी है। आरक्षण तथा एमआरसी लीगल टीम के सदस्य राजेश चौधरी का दावा है कि उनकी टीम ने वेबसाइट से एक-एक अभ्यर्थी का फॉर्म एवं रिजल्ट निकालकर ब्योरा जुटाया है। जिसमें 67867 सूची में आरक्षण अधिनियम-1994 की धज्जियां उड़ाते हुए 50% अनारक्षित पदों 34589 के बाद भी चयन सूची में अवैध तरीके से सामान्य वर्ग के 7149 अभ्यर्थियों का चयन कर दिया गया।
राजेश चौधरी के अनुसार-‘आरक्षण नियमावली के अनुसार पहली 50% सीटें अनारक्षित होती हैं जिन्हें खुली प्रतियोगिता के आधार पर भरा जाता है। उसके बाद शेष बची 50% सीटे वर्गवार आरक्षण लागू करते हुए भरी जाती हैं जिसमें ओबीसी के लिए आरक्षित 18598 सीटों की जगह 12496 एवं एससी के लिए आरक्षित 14459 सीटों की जगह 13416 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। ओबीसी को 27% की जगह मात्र 18% एवं एससी को 21% की जगह 19% आरक्षण देकर आरक्षित सीटों पर निर्धारित 34589 सीटों में भी अवैध रूप से सामान्य वर्ग के 7149 अभ्यर्थियों का चयन करके आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों पर सीधे तौर पर संवैधानिक हमला किया है’।