अभी हाल ही में बेसिक शिक्षा विभाग में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती की गई है। भर्ती से वंचित रहे दिव्यांग अभ्यर्थी प्रयागराज में शिक्षा निदेशालय पर गत 14 दिसंबर से अनवरत प्रदर्शन कर रहे हैं। टेट/सीटेट और सुपर टेट उत्तीर्ण करने के बाद भी ये दिव्यांग अभ्यर्थी नियुक्ति पाने से वंचित रह गए और उनके सपने भी चूर-चूर होते नजर आ रहे हैं।
विकलांगों को सम्मान देने के लिए उन्हें हीनभावना से ऊपर उठाने की दृष्टि से प्रधानमंत्री मोदी ने 'विकलांग' के स्थान पर 'दिव्यांग शब्द का संबोधन किया। कहीं न कहीं आज ये दिव्यांग उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी दिव्यांगों का कहना है किनियमों की अनदेखी कर उन्हें नियुक्ति से वंचित किया गया है। उनका कहना है कि उक्त भर्ती में आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 का पालन किया जाए, नियमानुसार उन्हें चार फीसदी आरक्षण दिया जाए। नियमानुसार शिक्षक भर्ती में बची हुई दृष्टिबाधित और मूकबधिर सीटों को चलन क्रिया से भरा जाए। ऐसी कई जायज और वैधानिक मांगों को लेकर ये प्रदर्शन जारी है। क्या संख्या बल कम होने के कारण सरकार इनको नजरअंदाज कर रही है? आखिर नियमों की अनदेखी क्यों? क्यों नहीं सरकार इन दिव्यांगजनों की जायज और उचित मांगों को सुन रही? वैसे तो आरक्षण का पहला हक दिव्यांगजनों को ही होना चाहिए। चूंकि स्वस्थ शरीर ही व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा वरदान है, किन्तु इससे ही वंचित होते हैं ये दिव्यांग। अतः योगी सरकार इन दिव्यांग अभ्यर्थियों की भी सुने और उनकी जायज मांगों पर गंभीरता से विचार करे। ये दिव्यांग अभ्यर्थी आशाभरी नजरों से सरकार की तरफ निहार रहे हैं।
सुनील कुमार शर्मा, अमापुर (कासगंज)