सुप्रीम कोर्ट ने आधार संबंधी 2018 के अपने आदेश में समीक्षा की मांग से संबंधित सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं। उक्त आदेश में केंद्र सरकार की आधार योजना को संवैधानिक वैधता प्रदान की गई थी। लेकिन बैंक अकाउंट, मोबाइल फोन और स्कूल में प्रवेश में आधार नंबर की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था।
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने चार-एक से फैसला दिया। 26 सितंबर, 2018 के फैसले को बरकरार रखने के अपने चार सहयोगियों के फैसले से जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने असहमति जताई। उनका कहना था कि आधार पर वित्त विधेयक की तरह विचार करने की मांग पर बड़ी पीठ को विचार करना चाहिए। 2018 में भी जस्टिस चंद्रचूड़ ने शीर्ष न्यायालय के आधार संबंधी आदेश पर असहमति जताई थी। तब भी उन्होंने आधार संबंधी विधेयक को वित्त विधेयक की तरह पारित न होने पर आपत्ति जताई थी। इसके लिए उन्होंने तर्क दिया था कि इसके जरिये अगर धन का गबन हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा? बहुमत के आधार पर लिए गए ताजा फैसले में कहा गया है कि वर्तमान पुनर्विचार याचिका 26 सितंबर, 2018 के फैसले के खिलाफ है।