बेसिक स्कूलों में दान से बनेंगी स्मार्ट कक्षाएं, लेकिन इसके लिए सरकार एक रुपये भी खर्च नहीं करेगी बल्कि विभाग और विद्यालय प्रबंधन खुद ही करेगा दानदाताओं की तलाश

 सहारनपुर। जिले के सभी परिषदीय विद्यालय में स्मार्ट क्लास बनाने की योजना है। लेकिन इसके लिए सरकार एक रुपये भी खर्च नहीं करेगी बल्कि विभाग और विद्यालय प्रबंधन खुद ऐसे दानदाता की तलाश करेंगे जो इन क्लासों को बनाने में आर्थिक मदद कर सकें। खास बात यह है कि ऐसे स्मार्ट क्लासों के बाहर उन दान दाताओं के नाम की प्लेट लगाई जाएगी।

नए सत्र अप्रैल 2021 से परिषदीय विद्यालयों में एनसीईआरटी किताबें बदलने जा रही है। इनके हर अध्याय पर अलग बार कोड डाला गया है। इस बार कोड को दिशा एप के जरिए स्केन कर पूरे अध्याय को स्मार्ट फोन, लैपटॉप आदि पर ऑनलाइन पढ़ा जा सकता है। चूंकि परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के पास स्मार्ट फोन नहीं है। शिक्षकों के लिए स्मार्ट फोन से पूरी क्लास को ऑनलाइन पढ़ाना संभव नहीं है। ऐसे में हर विद्यालय में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए स्मार्ट क्लास की जरूरत महसूस की जा रही है। इसके लिए बेसिक शिक्षा ने ऐसे लोगों या संस्थाओं की तलाश करने को कहा है जो स्मार्ट क्लास के लिए आर्थिक मदद या फिर सामान जैसे जनरेटर, इनवर्टर, कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्ट टीवी, प्रोजेक्टर आदि दे सकें। बेसिक शिक्षा परिषद ने यह भी कहा है कि जो लोग इसमें सहयोग करेंगे उनके नाम की प्लेट क्लास के बाहर लगाई जाएगी।

जिले में 1332 स्मार्ट क्लास की जरूरत
जनपद में वर्तमान में 1438 परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। इनमें से 116 विद्यालयों में दो साल से स्मार्ट क्लास चल रही हैं, जो खनन के पैसे से जिला प्रशासन द्वारा बनवाई गई हैं। इस प्रकार वर्तमान में 1332 विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें स्मार्ट क्लास की जरूरत है।
प्रत्येक परिषदीय विद्यालय में स्मार्ट क्लास बनाई जानी हैं। जनपद में कोई भी व्यक्ति, संस्था, एनजीओ या संगठन स्मार्ट क्लास के लिए पैसा या सामान दान कर सकता है। इच्छुक व्यक्ति कार्यालय में उनसे संपर्क कर सकता है। स्मार्ट क्लास बनने के बाद निश्चित रूप से शिक्षा के स्तर में सुधार आएगा।
- रमेंद्र कुमार सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।