एसआईटी की जांच में अस्तित्व विहीन मिले थे 219 मदरसे
आजमगढ़। एसआईटी जांच में फर्जी पाए गए जिले के 219 मदरसा संचालकों पर अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि शासनादेश पर ही कोई कार्रवाई शुरू होगी।
वर्ष 2010 में जिले में बिना मान्यता संचालित मदरसे का मामला प्रकाश में आया था। मदरसा पोर्टल पर जब मदरसों को अपलोड करवाया गया तो मदरसों के कागजात में गड़बड़ी पाई गई। इसकी शिकायत शासन तक
हुई। प्रदेश में योगी की सरकार बनने के बाद वर्ष 2017 में
अस्तित्व विहीन, बिना मान्यता के चल रहे मदरसों की जांच की
जिम्मेदारी एसआईटी को सौपी गई। जांच के दौरान एसआईटी की टीम ने पाया कि 219 मदरसे ऐसे हैं जो सिर्फ कागजों में संचालित हैं।
मौके पर इनका कोई अस्तित्व ही नहीं है। इनमें से 39 मदरसा संचालकों ने तत्कालीन अधिकारियों, कर्मचारियों मिली भगत कर आधुनिकीकरण योजना का लाभ भी ले चुके थे।
इन मदरसों के अलावा 72 मदरसे ऐसे पाए गए जिनको नियमों को ताक पर रखकर मान्यता दी गई थी। एसआईटी ने इसमें विभाग के
तत्कालीन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई थी। इनके खिलाफ मान्यता प्रत्याहरण की कार्रवाई की जानी है।
नवंबर 2022 को एसआईटी की जांच रिपोर्ट पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति ने फर्जी मदरसा संचालकों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की संस्तुति की थी। डेढ़ साल होने को हैं लेकिन अभी तक इन मदरसा संचालकों पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई। इसको लेकर क्षेत्र में चर्चा गरम है।
फर्जी मिले 219 मदरसा संचालकों, शिक्षकों व पूर्व अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना है। लेकिन एफआईआर कौन दर्ज कराएगा। इस संबंध में अभी तक ऊपर से कोई निर्देश नहीं आया है। निर्देश आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। - वर्षा अग्रवाल, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी