इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि विभागीय जांच व सुनवाई के बगैर किसी कर्मचारी की बर्खास्तगी करना संविधान के अनुच्छेद 311 के विपरीत है। इसी के साथ कोर्ट ने सीआईएसएफ में बतौर हेड कांस्टेबल/कमांडो कार्यरत रहे दो लोगों की विशेष अपील मंजूर करते हुए उनकी सेवा से बर्खास्तगी को अवैध करार देते हुए उन्हें सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति एसक्यूएच रिजवी की खंडपीठ ने परमजीत सिंह व जितेंद्र सिंह की विशेष अपील पर उनके अधिवक्ता आलोक कुमार यादव व वशिष्ठ दुबे को सुनकर दिया है। बर्खास्तगी के खिलाफ इनकी याचिका एकल पीठ ने खारिज कर दी थी। अपीलार्थियों के अधिवक्ता आलोक कुमार यादव व वशिष्ठ दुबे का तर्क था कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को बिना जांच किए या सुनवाई का अवसर दिए बागौर सेवा से बर्खास्त करना असंवैधानिक है। कोर्ट ने हेड कांस्टेबलों के समस्त सेवा लाभों समेत बहाली का निर्देश दिया है। अपीलार्थियों ने पांच महिलाओं को नरौरा परमाणु संयंत्र अनूप शहर बुलंदशहर में बिना अनुमति प्रवेश के लिए तीन सितंबर 2004 को पकड़ा था। इसके बाद उन महिलाओं ने 12 सितंबर 2004 को रेप का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस केस में दोनों याची साक्ष्य के अभाव में बरी हो गए थे। बर्खास्तगी के खिलाफ इनकी विभागीय अपील व निगरानी खारिज हो गई थी।
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