नई दिल्ली, एजेंसी। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने देशभर के स्कूली शिक्षा के प्रमुख सचिवों और सचिवों को पत्र लिखा है। पत्र में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत आने वाले सभी स्कूलों में पाठ्यक्रम, पाठ्य पुस्तकों और मूल्यांकन विधियों में एकरूपता सुनिश्चित करने को कहा गया है।
नौ अप्रैल को लिखे पत्र में विस्तृत सिफारिशें अकादमिक अधिकारियों, विशेष रूप से केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और संबंधित राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषदों द्वारा तय पाठ्यक्रम निर्देशों को सख्ती से लागू करने की बात कही गई है। पत्र का उद्देश्य अधिनियम के तहत आने वाले केंद्रीय विद्यालयों और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध संस्थानों सहित सभी स्कूलों में पाठ्यक्रम, पाठ्य पुस्तकों और मूल्यांकन विधियों में एकरूपता लाना है। वहीं, एनसीपीसीआर ने कुछ स्कूलों द्वारा निजी संस्थाओं द्वारा प्रकाशित पाठ्य पुस्तकों को तय करने की रिपोर्टों पर चिंता जताई है, जिसे आरटीई अधिनियम के तहत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए बच्चों के अधिकार के साथ असंगत माना गया है।
विद्यार्थियों को कई लाभ मिलने की उम्मीद
आरटीई अधिनियम के पाठ्यक्रम मानकों के लागू होने से देश भर में छात्रों और परिवारों को कई लाभ मिलने की उम्मीद है, जिसमें शैक्षिक सामग्री में एकरूपता, एनसीईआरटी/एससीईआरटी द्वारा अनुमोदित तय सामग्री को सीमित करके शिक्षा लागत में कमी लाना आदि शामिल है। हल्के स्कूल बैग के माध्यम से छात्रों पर शारीरिक तनाव, निर्दिष्ट पाठ्य पुस्तकों का सख्ती से पालन करके प्राप्त किया जाता है।