लखनऊ : शिक्षामित्रों के समायोजन को हाई कोर्ट द्वारा अवैध
ठहराये जाने के बाद उनकी स्थिति को लेकर शासन स्तर पर पसोपेश जारी है।
शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक का वेतन दिया जाए या नहीं, इस पर कोई सीधी
टिप्पणी करने से बचते हुए वित्त विभाग ने गेंद बेसिक शिक्षा विभाग के पाले
में डाल दी है।
यह कहते हुए कि शिक्षामित्र को सहायक अध्यापक माना जाए या
नहीं, यह प्रशासनिक विभाग तय करे।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षामित्रों की स्थिति को लेकर
सवाल उठ रहे हैं कि क्या उन्हें सहायक अध्यापक का वेतन भुगतान किया जाए।
गोंडा और आगरा के जिलाधिकारियों ने भी शासन से पूछा था कि अदालत के आदेश के
बाद शिक्षामित्रों को क्या माना जाए। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के
बीच यह मत उभरा था कि हाई कोर्ट के आदेश के पहले यानी 11 सितंबर तक
शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक का वेतन भुगतान किया जा सकता है। इस मुद्दे
पर बेसिक शिक्षा विभाग ने न्याय विभाग से राय मांगी थी। न्याय विभाग ने इस
प्रकरण में कोई मशविरा देने से परहेज करते हुए फाइल वित्त विभाग को भेज दी
थी। अब वित्त विभाग ने मामले से पल्ला झाड़ लिया है।
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