शिक्षामित्र समायोजन केस की अपेंडिक्स(बीमारी) है धारा 38 : आओ जाने क्या है धारा 38 : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

समायोजन केस की अपेंडिक्स(बीमारी) है धारा 38
🏼पहले तो हम ये दो टूक कह दें कि हमारी पहली और आखरी प्राथमिकता समायोजन बचाना है। और इस दिशा में हमारी तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका गतिमान है।
आइये सब से पहले हम आरटीई एक्ट की धारा 38 की बात करते हैं
धारा 38 के अधीन राज्य सरकार को आरटीई एक्ट की धारा 23(३) में उस सीमा तक संशोधन का अधिकार है जो आरटीई एक्ट के मॉडल रूल में तै की गई है।
इसी लिए सीजे ने लिखा:-
For these reasons also we are unable to sustain the provision made in Rule 16-A.
 इन कारणों से भी हम नियम 16-ए में किए गए प्रावधान को बनाए रखने में असमर्थ हैं।
✍🏼साफ़ है कि सीजे ने समायोजन बचाने का प्रयास किया। ताकि हमें दर्द से निजात मिलती।
हमने धारा 38 को केस का अपेंडिक्स क्यों कहा, क्योंकि अपेंडिक्स ऐसी बिमारी है जिस में बहुत तेज़ दर्द होता है और इस का इलाज़ ऑपरेशन के सिवा कोई नहीं है। दरअसल अपेंडिक्स आंत में एक अतिरिक्त आंत होती है जो कोई काम की नहीं होती। जब किसी कारण से इस में खाने के टुकड़े पहुँच जाते हैं तो ये खाना उसमे सड़ने लगता है और इससे तेज़ दर्द उठता है।
✍🏼हमारे केस में धारा 38 जिस से 16 क बनाया गया उसकी स्थिति भी इस अपेंडिक्स की ही तरह है।
अफ़सोस की बात ये की अब तक की सभी टीमों (टेट व् नॉन टेट) और संघों की जितनी भी एसएलपी हैं सभी में इस अपेंडिक्स को बनाये रखा गया है। इस का किसी ने इलाज़ नहीं कराया। जबकि मरीज़(एसएम) से पैसा इसी काम का लिया है। हर एसएलपी में इस 16 क को बनाये रखने की ही बात की गई है। जब हमने एक बड़ी टीम के मुखिया से इसे हटवाने का निवेदन किया तो उन्होंने साफ़ इनकार कर दिया। शायद वो हमें वो दर्द से निजात न दिलवाना चाहते हों ‼
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