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यूनिसेफ ने जारी किए चौंकाने वाले आंकड़े : UP में 16 लाख बच्चों के लिए स्कूल अब भी सपना, यूनिसेफ ने जारी किए आंकड़े, फेयर चांस फॉर एव्री चाइल्ड कार्यक्रम चलाएंगे

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के 16 लाख बच्चों के लिए स्कूल जाना अब भी सपने से कम नहीं है। पूरे देश में यह तस्वीर और भयावह है। करीब एक करोड़ बच्चे पढ़ाई न करके कुछ काम कर रहे हैं। वहीं, 6 से 14 वर्ष के बीच के 61 लाख बच्चे स्कूल नहीं जा पाते।
ये चौंकाने वाले आंकड़े यूनिसेफ ने हजरतगंज के एक होटल में मंगलवार को जारी किए। यूनिसेफ 100 प्रतिशत शिक्षा के लिए 'फेयर चांस फॉर एव्री चाइल्ड' कार्यक्रम शुरू कर रहा है। इसका लक्ष्य 2030 तक हर बच्चे के पास शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाना है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा अभियान के ज्वॉइंट डायरेक्टर विष्णुकांत पाण्डेय ने बताया कि यूनिसेफ के साथ मिलकर सौ प्रतिशत शिक्षा का काम चल रहा है। पहले इसे पांच जिलों के पांच ब्लॉक में पायलट प्रॉजेक्ट के तहत चलाया गया। इसमें लक्ष्य रखा गया कि 8वीं कक्षा के पास हर स्टूडेंट का 9वीं क्लास में रजिस्ट्रेशन करवाया जाए। प्रॉजेक्ट सफल होने के बाद इस साल इसे 50 विकास खंड में लागू किया गया है। इस बार सफल होने के बाद इसे अगले साल से पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
     चौंकाने वाले आंकड़े
👉 74 लाख बच्चे कम वजन के पैदा होते हैं।
👉 35 हजार बच्चों की मौत देश में रोज पांच वर्ष के अंदर होती है।
👉 55 करोड़ लोग खुले में शौच जा रहे हैं।
👉 22 लाख लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो जाती है।
👉 15 से 19 वर्ष के बीच की हर चार में एक बच्ची के साथ सेक्सुअल वायलेंस होता है।
👉 48 प्रतिशत लड़कियां कुपोषित हैं।
👉 59 प्रतिशत कक्षा तीन के स्टूडेंट्स पढ़ना तक नहीं जानते।
👉 18.3 प्रतिशत लड़कियां प्राइमरी क्लास में स्कूल ड्रॉप कर देती हैं।
👉 47 प्रतिशत लड़कियों का ड्रॉपआउट सेकंड्री एजुकेशन तक आते ही हो जाता है।
👉 63 प्रतिशत स्कूलों में टॉयलेट के पास हाथ धोने की सुविधा नहीं है।
एससीईआरटी के ज्वॉइंट डायरेक्टर अजय कुमार सिंह ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों को शिक्षा विभाग से अलग रखने में भी समस्याएं आ रही हैं। सरकारी स्कूलों में शुरुआती पढ़ाई का तरीका भी ठीक नहीं है। स्कूल में प्रवेश के बाद बच्चे को सीधे क ख ग पढ़ाया जाता है। टीचर्स को लगता है कि बच्चे पहले से सब जानते हैं। जबकि ऐसा नहीं होता है। यही कारण है कि बच्चा पढ़ाई को बोझ समझने लगता है। इस मौके पर यूनिसेफ की यूपी हेड निलोफर पोरजांद उपस्थित रहीं।

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