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उक्त सार ही शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट से बहाल करायेगा

2014 में जब शिक्षामित्रों को समायोजित करने का मुद्दा उठा सब से पहले शिक्षामित्रों को शिक्षा सहायक बनाने की बात आई। मज़ेदार बात ये कि शिक्षामित्र संघो की ज़िद के चलते शिक्षामित्रो को शिक्षा सहायक बनाने का प्रस्ताव बना।

आज अगर शिक्षामित्र भी शिक्षा सहायक होते तो उड़ीसा के 8000 शिक्षा सहायकों की तरह बर्खास्त हो चुके होते।
सोशल मीडिया पर 8000 शिक्षा सहायकों को टेट पास न कर पाने कारण हटाये जाने की खबर वायरल हुई।

कौन हैं शिक्षा सहायक :
वर्ष 2011 में उड़ीसा सरकार ने शिक्षामित्रों की तर्ज पर शिक्षा सहायक नियुक्त किये। इनकी नियुक्ति की शर्त ये थी कि वे 5 वर्ष में न्यूनतम अर्हता का अर्जन करेंगे।
किन्तु 2013 में जब टेट पास करने का आदेश राज्य सरकार ने दिया तो ये लोग कोर्ट चले गए। और मई में इनके खिलाफ फैसला आ गया। और अंततः इन्हें बरखास्त करने की कारवाही हुई।
शिक्षामित्रों से शिक्षा सहायकों की नियुक्ति की प्रकृति पूर्णतयः अलग है।
शिक्षामित्रों को समायोजित किया गया जबकि शिक्षा सहायको की नियुक्ति की गयी।
शिक्षामित्र एनसीटीई के शैक्षिक प्राधिकारी बनाये जाने और आरटीई एक्ट लागू होने के पूर्व से नियुक्त हैं।
हाई कोर्ट इलाहबाद ने भी शिक्षामित्रों का समायोजन ये कहते हुए रद्द किया कि शिक्षामित्र आरटीई एक्ट और एनसीटीई रेगुलेशन की वध्यताओं को पूरा नहीं करते है।
मिशन सुप्रीम कोर्ट समूह के विधिक जानकारों द्वारा हाई कोर्ट की उक्त टिप्पणी पर अकाट्य साक्ष्य अपने अपने वकील डॉ कॉलिन गोन्साल्विस को उपलब्ध कराये हैं। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में "मिशन सुप्रीम कोर्ट" समूह के वकील अपनी एसएलपी के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले पर इसी पर आधारित पक्ष रखेंगे।
हाई कोर्ट के फैसले का उक्त सार ही शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट से बहाल करायेगा। और शिक्षामित्र सहायक अध्यापक के पद पर बने रहें इस की ठोस तैयारी की गई है।
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