मथुरा: वैसे तो उत्तर प्रदेश की यूपी सरकार शिक्षा के बड़े-बड़े दावे करने में नहीं थकती. लेकिन मथुरा के कोसी क्षेत्र का एक प्राथमिक स्कूल यूपी सरकार की शिक्षा ब्यवस्था की पोल खोलता नजर आ रहा है.
ये नजारा मथुरा के कोसी क्षेत्र का है जहां तीन विसा के एक प्राथमिक स्कूल में शिक्षिकाओं द्वारा नाबालिग बच्चों से स्कूल की सफाई कराने का मामला सामने आया है.
स्कूल में गंदगी है किससे कराऊ सफाई?
एबीपी न्यूज़ जब इसकी पड़ताल के लिए प्राइमरी स्कूल में पहुंचा तो वहां की एक टीचर नाबालिग बच्चों से फाबड़े से सफाई करा रही थीं. जब शिक्षिका से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ‘इनसे नहीं कराऊ तो क्या मैं खुद करु. मुझसे तो ये काम नहीं होता.’
केवल इतना ही नहीं जब शिक्षिका से पूछा गया कि ‘क्या ये आप सही कर रही हैं?’ तो इसके जवाब में शिक्षिका ने दबी जबान से खुद स्वीकारते हुए कहा कि हां ये गलत है पर स्कूल मे गंदगी थी. मैं क्या करुं.’
दो शिक्षक और चार बच्चों का स्कूल
इतना ही नहीं इस प्राथमिक स्कूल में छात्रों और अध्यापकों की अगर आप संख्या सुनेंगे तो हैरान रह जाएंगे. इस स्कूल में शिक्षक और छात्रों के नाम पर बस दो टीचर और चार छात्र ही हैं. इन आंकड़ों से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूपी सरकार बच्चों की शिक्षा का कितना ख्याल रखती है और उनपर कितना खर्च करती है?
यूपी में गिरता शिक्षा का स्तर
यूपी सरकार में शिक्षा का स्तर इतना गिर गया है कि अब कोई भी पैरेंट्स यूपी सरकार के प्राइमरी स्कूलों में अपने बच्चों को शिक्षा दिलाना नहीं चाहता है. यूपी सरकार के ये स्कूल अब महज मात्र शो पीस बन गए हुए हैं.
क्या है बीएसए का कहना?
वहीं इस मामले पर बीएसए राजीव कुमार का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है, जो भी दोषी पाया जायेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
प्राइमरी स्कूल कम तबेला ज्यादा
इतना ही नहीं इस प्राइमरी स्कूल के सामने स्थानीय लोगों ने अपने-अपने पशुओं को बांध रखा है जिसके चलते ये स्कूल कम तबेला ज्यादा लगता है.
एबीपी न्यूज़ ने जब इस संबंध में स्कूल के अध्यापकों से पूछा तो उनका कहना था कि हम लोगों के लाख मना करने बाद भी लोग जबरन यहां अपने पशु बांधते हैं. इसपर हम क्या करें?
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ये नजारा मथुरा के कोसी क्षेत्र का है जहां तीन विसा के एक प्राथमिक स्कूल में शिक्षिकाओं द्वारा नाबालिग बच्चों से स्कूल की सफाई कराने का मामला सामने आया है.
स्कूल में गंदगी है किससे कराऊ सफाई?
एबीपी न्यूज़ जब इसकी पड़ताल के लिए प्राइमरी स्कूल में पहुंचा तो वहां की एक टीचर नाबालिग बच्चों से फाबड़े से सफाई करा रही थीं. जब शिक्षिका से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ‘इनसे नहीं कराऊ तो क्या मैं खुद करु. मुझसे तो ये काम नहीं होता.’
केवल इतना ही नहीं जब शिक्षिका से पूछा गया कि ‘क्या ये आप सही कर रही हैं?’ तो इसके जवाब में शिक्षिका ने दबी जबान से खुद स्वीकारते हुए कहा कि हां ये गलत है पर स्कूल मे गंदगी थी. मैं क्या करुं.’
दो शिक्षक और चार बच्चों का स्कूल
इतना ही नहीं इस प्राथमिक स्कूल में छात्रों और अध्यापकों की अगर आप संख्या सुनेंगे तो हैरान रह जाएंगे. इस स्कूल में शिक्षक और छात्रों के नाम पर बस दो टीचर और चार छात्र ही हैं. इन आंकड़ों से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूपी सरकार बच्चों की शिक्षा का कितना ख्याल रखती है और उनपर कितना खर्च करती है?
यूपी में गिरता शिक्षा का स्तर
यूपी सरकार में शिक्षा का स्तर इतना गिर गया है कि अब कोई भी पैरेंट्स यूपी सरकार के प्राइमरी स्कूलों में अपने बच्चों को शिक्षा दिलाना नहीं चाहता है. यूपी सरकार के ये स्कूल अब महज मात्र शो पीस बन गए हुए हैं.
क्या है बीएसए का कहना?
वहीं इस मामले पर बीएसए राजीव कुमार का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है, जो भी दोषी पाया जायेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
प्राइमरी स्कूल कम तबेला ज्यादा
इतना ही नहीं इस प्राइमरी स्कूल के सामने स्थानीय लोगों ने अपने-अपने पशुओं को बांध रखा है जिसके चलते ये स्कूल कम तबेला ज्यादा लगता है.
एबीपी न्यूज़ ने जब इस संबंध में स्कूल के अध्यापकों से पूछा तो उनका कहना था कि हम लोगों के लाख मना करने बाद भी लोग जबरन यहां अपने पशु बांधते हैं. इसपर हम क्या करें?
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