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आबादी की हिसाब से कितने प्राइमरी स्कूल: अनिवार्य शिक्षा कानून लागू करने पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

इलाहाबाद। हाईकोर्ट ने सूबे में नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का कानून लागू करने पर प्रदेश सरकार से जानकारी मांगी है। कोर्ट ने पूछा है कि सरकारी और मान्यता प्राप्त स्कूलों में अनिवार्य शिक्षा का कानून लागू करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
कानून लागू नहीं किया गया है तो फिर गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के
खिलाफ कार्रवाई किस आधार पर की जा रही है। अदालत ने सचिव बेसिक शिक्षा यह भी जानना चाहा है कि प्रदेश की आबादी के हिसाब से कितने प्राथमिक स्कूल खोले गए हैं और कितने शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। इस मामले हलफनामा भी मांगा है।
एटा के माया प्रकाश चौहान की जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति अरुण टंडन और न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। याचिका में कहा गया है कि बीएसए एटा ने गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। कार्रवाई अनिवार्य शिक्षा कानून के तहत की जा रही है जबकि प्रदेश में अनिवार्य शिक्षा लागू करने में गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की बड़ी भूमिका है। निजी विद्यालय सरकार की जिम्मेदारी उठा रहे हैं। सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि मानक के विपरीत बिना मान्यता के चल रहे विद्यालयों पर कार्रवाई की जा रही है। कोर्ट ने जानना चाहा है कि कक्षा एक से कक्षा तीन तक के स्कूलों को मान्यता कौन देगा। क्या सरकार खुद अनिवार्य शिक्षा कानून का पालन कर रही है। याचिका पर 26 सितंबर को अगली सुनवाई होगी।

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