रामपुर : शिक्षामित्रों का समायोजन बचाने को लेकर समायोजित शिक्षकों ने
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से दिल्ली में मुलाकात
की। इस दौरान शिक्षकों ने असमायोजित शिक्षामित्रों को 30 हजार रुपये
प्रतिमाह मानदेय दिलाने और सहायक अध्यापक का पद सुरक्षित रखने की मांग की।
आदर्श समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय प्रवक्ता सैय्यद जावेद मियां ने बताया कि भाजपा सांसद जगदंबिका पाल के नेतृत्व में उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही समेत तमाम पदाधिकारियों के साथ केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री से मुलाकात की। भाजपा सांसद ने शिक्षामित्रों का पूरा प्रकरण केंद्रीय मंत्री के समक्ष रखा। कहा कि पिछले 16 वर्षों से अल्प मानदेय पर कार्य कर रहे शिक्षामित्रों को सूचना का अधिकार कानून लागू होने के बाद दो वर्षीय दूरस्थ बीटीसी कराई गई। तमाम आंदोलन के बाद प्रदेश सरकार ने वर्ष 2014 में शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया। इसके लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा आरटीई एक्ट अधिसूचना से पूर्व कार्यरत अप्रशिक्षित शिक्षकों एवं शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देने के प्रावधान को आधार बनाया गया। हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 सितंबर 2015 को शिक्षामित्रों का समायोजन प्रक्रियागत दोष मानते हुए रद्द कर दिया गया। प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहां स्थगनादेश मिल गया। अब यह मामला सुप्रीमकोर्ट में है, जहां एनसीटीई को शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देने की स्थिति स्पष्ट करनी है। पूरी बात सुनने के बाद मंत्री ने उच्चाधिकारियों के साथ प्रकरण की समीक्षा की और शिक्षामत्रों की सहायता के लिए सप्ताहभर में प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने असमायोजिक शिक्षामित्रों को 30 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय दिलाने और सहायक अध्यापक पद सुरक्षित रखने की मांग की है।
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आदर्श समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय प्रवक्ता सैय्यद जावेद मियां ने बताया कि भाजपा सांसद जगदंबिका पाल के नेतृत्व में उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही समेत तमाम पदाधिकारियों के साथ केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री से मुलाकात की। भाजपा सांसद ने शिक्षामित्रों का पूरा प्रकरण केंद्रीय मंत्री के समक्ष रखा। कहा कि पिछले 16 वर्षों से अल्प मानदेय पर कार्य कर रहे शिक्षामित्रों को सूचना का अधिकार कानून लागू होने के बाद दो वर्षीय दूरस्थ बीटीसी कराई गई। तमाम आंदोलन के बाद प्रदेश सरकार ने वर्ष 2014 में शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया। इसके लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा आरटीई एक्ट अधिसूचना से पूर्व कार्यरत अप्रशिक्षित शिक्षकों एवं शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देने के प्रावधान को आधार बनाया गया। हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 सितंबर 2015 को शिक्षामित्रों का समायोजन प्रक्रियागत दोष मानते हुए रद्द कर दिया गया। प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहां स्थगनादेश मिल गया। अब यह मामला सुप्रीमकोर्ट में है, जहां एनसीटीई को शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देने की स्थिति स्पष्ट करनी है। पूरी बात सुनने के बाद मंत्री ने उच्चाधिकारियों के साथ प्रकरण की समीक्षा की और शिक्षामत्रों की सहायता के लिए सप्ताहभर में प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने असमायोजिक शिक्षामित्रों को 30 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय दिलाने और सहायक अध्यापक पद सुरक्षित रखने की मांग की है।
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