Breaking Posts

Top Post Ad

यूपी में जंगलराज हर फील्ड में है. शिक्षा, सेहत, आबकारी... कोई विभाग उठा लो

बरेली | यूपी में जंगलराज हर फील्ड में है. शिक्षा, सेहत, आबकारी... कोई विभाग उठा लो, उसके पीछे एक लंबा चौड़ा घोटाला नजर आएगा जिसे शीर्ष लेवल के सत्ताधारियों द्वारा संरक्षण प्राप्त है.
प्रदेश में शराब विक्रेती जमकर खरीदारों को लूट रहे हैं. निर्धारित रेट से बहुत ज्यादा पैसे वसूल रहे हैं. भ्रष्ट आबकारी विभाग सब जानकर भी चुप्पी साधे है. आबकारी विभाग उन सरकारी विभागों में से एक है जहां सब कुछ जानकारी में होने के बावजूद खुलेआम भ्रष्टाचार के कीचड़ में सना हुआ होने के कारण भयंकर चुप्पी साधी रखी जाती है. मामला नशे के विभाग यानी शराब से जुड़ा होने के चलते हर कोई इसके कीचड़ में ईंट मारने से बचता है कि कहीं कीचड़ की छीट उस पर ही न पड़ जाए. इसलिए सब कुछ जगजाहिर है फिर भी सुनवाई कहीं नहीं. हो भी कैसे. सीधे-सीधे देशी पव्वे पर पांच रुपये के ओवर रेट से आने वाले रोजाना लाखों रुपयों की रकम की महक व जायका उपर तक सभी इमानदारों को हिस्सानुसार पहुंचा दिया जाता है शिकायतों पर पर्दा डालते रहने के नाम पर.

शराब की बिक्री और क्वालिटी पर नजर रखने के लिए जिम्मेदार आबकारी विभाग उन चुनिंदा सरकारी विभागों में शुमार है जिसमें मलाई सबसे ज्यादा है. चाहे अवैध दारू बनाने से बिकने तक की बात हो या प्रतिबंधित जगह दूसरे स्थान की लाईसेंसी दुकान चलाने की बात हो, सब संभव है, यहां सुविधा शुल्क की बदौलत. विश्वास ना हो तो किसी दुकान से दारू खरीदने के दौरान पक्की रसीद मांगकर तो देखिए. दुकानदार से लेकर पुलिस से लेकर प्रशासन हर जगह बेभाव की रूसवाई यानी बेइज्जती झेलनी पड़ सकती है. यानी भारत सरकार से लेकर संविधान से लेकर अन्य नियम कानून, यहां कोई लागू नहीं होता है. बिना परिचय बताए आबकारी विभाग के ही निरीक्षक से पूछने पर एक जिम्मेदारी वाला पद निर्वहन करने के बावजूद गैर-जिम्मेदाराना जवाब देते हुए बताया कि यहां रसीद नहीं दी जा सकती. क्यूं? के जवाब में बताया गया कि हर सवाल का जवाब देना जरूरी नहीं है.

इसी तरह दुकानदारों ने जानकारी दी कि त्योहारों पर तो विभाग द्वारा हर दुकान के हिसाब से 3500 से 5000 रुपए अवैध वसूली भी की जाती है. एक बड़ी कम्पनी को विभाग ने बाकायदा नियमावली बना कर शराब बिक्री का जिम्मा देकर मनमानी करने को छोड़ दिया है. अब इन के विरुद्ध कुछ भी बोलने का मतलब है कि किसी भी मिलावट अदि के अवैध केस में फर्जी ढ़ग से फंसाकर शिकायत से भी कई गुना ज्यादा का जुर्माना भुगतना.

बरेली से टीवी जर्नलिस्ट योगेन्द्र सिंह की रिपोर्ट.
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

No comments:

Post a Comment

Facebook