यूपी बोर्ड के 25 हजार से अधिक स्कूलों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबें लागू करने की तैयारी है। सरकार के निर्देश पर माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने एनसीईआरटी से संपर्क किया है।
मानव संसाधन विकास मंत्रलय पूरे देश में एनसीईआरटी की किताबें लागू करना चाह रहा है। पूरे देश में एक जैसा सिलेबस होने पर प्रतियोगिता में किसी बोर्ड विशेष के छात्रों को फायदा व दूसरे बोर्ड के छात्रों को नुकसान जैसी बात नहीं रह जाएगी। सूत्रों के अनुसार अब तक 17 राज्यों ने एनसीईआरटी की किताबें लागू कर दी है। हाल ही में तमिलनाडु ने इसे लागू करते हुए किताबें प्रकाशित करने का कॉपीराइट एनसीईआरटी से लिया है। यूपी में यदि एनसीईआरटी की किताबें लागू होती है तो यह 18वां राज्य हो जाएगा।
भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले जारी अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में कक्षा 12 तक गरीब परिवार से आए छात्र-छात्रओं को सभी पुस्तकें, स्कूल यूनिफार्म, जूते तथा स्कूल बैग मुफ्त देने का वादा किया था। सरकार सवा करोड़ से अधिक को एनसीईआरटी की मुफ्त किताबें देती है तो अलग से बजट का प्रावधान करना होगा। यूपी बोर्ड अपना सिलेबस तय करता है और निजी प्रकाशक किताबें छापकर तय कीमत पर बाजार में उपलब्ध कराते हैं। बच्चों को किताबें खरीदनी पड़ती है।
एनसीईआरटी की किताबें सबसे प्रामाणिक मानी जाती हैं। सिविल सेवा की सर्वोच्च आईएएस परीक्षा से लेकर अन्य सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी एनसीईआरटी की किताबों से ही सवाल पूछे जाते हैं। इनके लागू होने से यूपी के बच्चों को काफी लाभ होगा। यूपी की किताबों की समय-समय पर समीक्षा तो होती है लेकिन एनसीईआरटी जैसा समृद्ध व अपडेट सिलेबस नहीं है। यूपी बोर्ड की किताबों में तमाम गैर जरूरी विषय शामिल हैं। इंटर में ऐसे प्रैक्टिकल हैं जो कई दशकों से चले आ रहे हैं।
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मानव संसाधन विकास मंत्रलय पूरे देश में एनसीईआरटी की किताबें लागू करना चाह रहा है। पूरे देश में एक जैसा सिलेबस होने पर प्रतियोगिता में किसी बोर्ड विशेष के छात्रों को फायदा व दूसरे बोर्ड के छात्रों को नुकसान जैसी बात नहीं रह जाएगी। सूत्रों के अनुसार अब तक 17 राज्यों ने एनसीईआरटी की किताबें लागू कर दी है। हाल ही में तमिलनाडु ने इसे लागू करते हुए किताबें प्रकाशित करने का कॉपीराइट एनसीईआरटी से लिया है। यूपी में यदि एनसीईआरटी की किताबें लागू होती है तो यह 18वां राज्य हो जाएगा।
भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले जारी अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में कक्षा 12 तक गरीब परिवार से आए छात्र-छात्रओं को सभी पुस्तकें, स्कूल यूनिफार्म, जूते तथा स्कूल बैग मुफ्त देने का वादा किया था। सरकार सवा करोड़ से अधिक को एनसीईआरटी की मुफ्त किताबें देती है तो अलग से बजट का प्रावधान करना होगा। यूपी बोर्ड अपना सिलेबस तय करता है और निजी प्रकाशक किताबें छापकर तय कीमत पर बाजार में उपलब्ध कराते हैं। बच्चों को किताबें खरीदनी पड़ती है।
एनसीईआरटी की किताबें सबसे प्रामाणिक मानी जाती हैं। सिविल सेवा की सर्वोच्च आईएएस परीक्षा से लेकर अन्य सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी एनसीईआरटी की किताबों से ही सवाल पूछे जाते हैं। इनके लागू होने से यूपी के बच्चों को काफी लाभ होगा। यूपी की किताबों की समय-समय पर समीक्षा तो होती है लेकिन एनसीईआरटी जैसा समृद्ध व अपडेट सिलेबस नहीं है। यूपी बोर्ड की किताबों में तमाम गैर जरूरी विषय शामिल हैं। इंटर में ऐसे प्रैक्टिकल हैं जो कई दशकों से चले आ रहे हैं।
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