सरकारी अधिवक्ता द्वारा समायोजन बचाने हेतु दिये गए हर तर्क को कोर्ट ने खारिज किया उसके बाद 1 लाख 72000 की संख्या का हवाला दिया गया कोर्ट ने योग्य अभ्यर्थियों के अधिकारों के हनन का कारण समायोजन मानते हुए सरकार के इस तर्क को भी खारिज किया ।
दोनों अधिवक्ताओं ने अधिकांश समय शासनादेशों को पढ़ने मे लगाया और निम्न तर्क दिये
1- बहस की शुरुवात सीपीसी ऑर्डर -1 रूल 8 पर बहस करते हुए कहा गया की समायोजन रद्द करने से पहले हाइ कोर्ट द्वारा कोई नोटिस नही दिया गया कोई पेपर पब्लिकेशन नही हुआ । ऐसा करना नेचुरल जस्टिस के विपरीत है ।
उत्तर : समायोजन कोर्ट के अधीन था यह बात सभी शिक्षा मित्रों के नियुक्ति पत्र पर लिख कर दी गयी थी । यह आदेश स्पेशल अपील 401/2014 मोहम्मद अरशद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य पर आया था ।
2- बी एड का प्राइमरी विद्यालय के पदों पर कोई लोकस नही है । बी एड के लोग समायोजन को चुनौती नही दे सकते थे अतः हाइ कोर्ट का आदेश रद्द किया जाए ।
उत्तर : बी एड के अधिवक्ताओं के द्वारा कोई उत्तर नही दिया गया । अपनी बहस के समय वे इसका उत्तर देंगे । हमारे अधिवक्ताओं ने कोर्ट को तत्काल बताया की समायोजन को 28 याचिकाओं द्वारा बीटीसी अभ्यर्थियों ने चुनौती दी थी और आनंद कुमार यादव बीटीसी प्रशिक्षित हैं ।
3- शिक्षा मित्र अध्यापक के रूप मे कार्यरत है इसलिए इन्हे टी ई टी छूट मिलने चाहिए ।
उत्तर : शिक्षा मित्र संविदा कर्मी के रूप मे कार्यरत थे और अध्यापक की न्यूनतम अर्हता पूरी नही करते थे ।
4- बेसिक एजुकेशन एक्ट 1972 , के सेक्शन - 19 पर बहस की गयी तथा शिक्षक की परिभाषा के अनुसार शिक्षा मित्रों को शिक्षक साबित करने की कोशिश की गयी ।
उत्तर : शिक्षक की परिभाषा के साथ साथ एक्ट मे शिक्षक हेतु योग्यता भी वर्णित है बिना न्यूनतम योग्यता पूरी किए अध्यापक नही बनाया जा सकता है ।
5- शिक्षा मित्रों के इस पद पर चयन हेतु विज्ञापन दिखाये गए ।
उत्तर : विज्ञापन यह साफ करते हैं की आरक्षण की अलग प्रक्रिया का पालन किया गया है और शिक्षा मित्र को अध्यापक नही कहा जा सकता है ।
6- शिक्षा मित्रों का पक्ष हाइ कोर्ट ने नही सुना ।
उत्तर : शिक्षा मित्र की सभी असोसियेशन हाइ कोर्ट मे पार्टी बनकर कोर्ट मे इम्प्लीद हुई और बहस की अपना पक्ष रखा। काउंटर फ़ाइल किया । इसका पूरा विवरण 91 पेज के जजमेंट मे है ।
इसके अतिरिक्त आर्टिकल 142 का प्रयोग करते हुए शिक्षा मित्रों के समायोजन को बचाने की मांग की गयी । अभी तक की कोई भी बात कोर्ट मे बीटीसी के विरुद्ध नही कही गयी है
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1- बहस की शुरुवात सीपीसी ऑर्डर -1 रूल 8 पर बहस करते हुए कहा गया की समायोजन रद्द करने से पहले हाइ कोर्ट द्वारा कोई नोटिस नही दिया गया कोई पेपर पब्लिकेशन नही हुआ । ऐसा करना नेचुरल जस्टिस के विपरीत है ।
उत्तर : समायोजन कोर्ट के अधीन था यह बात सभी शिक्षा मित्रों के नियुक्ति पत्र पर लिख कर दी गयी थी । यह आदेश स्पेशल अपील 401/2014 मोहम्मद अरशद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य पर आया था ।
2- बी एड का प्राइमरी विद्यालय के पदों पर कोई लोकस नही है । बी एड के लोग समायोजन को चुनौती नही दे सकते थे अतः हाइ कोर्ट का आदेश रद्द किया जाए ।
उत्तर : बी एड के अधिवक्ताओं के द्वारा कोई उत्तर नही दिया गया । अपनी बहस के समय वे इसका उत्तर देंगे । हमारे अधिवक्ताओं ने कोर्ट को तत्काल बताया की समायोजन को 28 याचिकाओं द्वारा बीटीसी अभ्यर्थियों ने चुनौती दी थी और आनंद कुमार यादव बीटीसी प्रशिक्षित हैं ।
3- शिक्षा मित्र अध्यापक के रूप मे कार्यरत है इसलिए इन्हे टी ई टी छूट मिलने चाहिए ।
उत्तर : शिक्षा मित्र संविदा कर्मी के रूप मे कार्यरत थे और अध्यापक की न्यूनतम अर्हता पूरी नही करते थे ।
4- बेसिक एजुकेशन एक्ट 1972 , के सेक्शन - 19 पर बहस की गयी तथा शिक्षक की परिभाषा के अनुसार शिक्षा मित्रों को शिक्षक साबित करने की कोशिश की गयी ।
उत्तर : शिक्षक की परिभाषा के साथ साथ एक्ट मे शिक्षक हेतु योग्यता भी वर्णित है बिना न्यूनतम योग्यता पूरी किए अध्यापक नही बनाया जा सकता है ।
5- शिक्षा मित्रों के इस पद पर चयन हेतु विज्ञापन दिखाये गए ।
उत्तर : विज्ञापन यह साफ करते हैं की आरक्षण की अलग प्रक्रिया का पालन किया गया है और शिक्षा मित्र को अध्यापक नही कहा जा सकता है ।
6- शिक्षा मित्रों का पक्ष हाइ कोर्ट ने नही सुना ।
उत्तर : शिक्षा मित्र की सभी असोसियेशन हाइ कोर्ट मे पार्टी बनकर कोर्ट मे इम्प्लीद हुई और बहस की अपना पक्ष रखा। काउंटर फ़ाइल किया । इसका पूरा विवरण 91 पेज के जजमेंट मे है ।
इसके अतिरिक्त आर्टिकल 142 का प्रयोग करते हुए शिक्षा मित्रों के समायोजन को बचाने की मांग की गयी । अभी तक की कोई भी बात कोर्ट मे बीटीसी के विरुद्ध नही कही गयी है
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