शिक्षामित्रों की मांग पर ये रहा योगी सरकार का जबाव, पढ़ें ये खबर

आगरा। सुप्रीम कोर्ट से समायोजन रद्द होने के बाद शिक्षामित्र को सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार से मिली उम्मीद एक बार फिर टूट गई है।
प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला की जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र छौंकर से बात हुई, जिसमें बताया गया कि संगठन की एक भी मांग पर योगी सरकार उनके पक्ष में मानने को तैयार नहीं है। सरकार ने वो निर्णय किए हैं, जिनसे 20 फीसद शिक्षामित्रों का भी भला नहीं हो पाएगा।

सरकार ने ये कहा
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला के साथ तमाम पदाधिकारियों की अपर मुख्य सचिव राजा प्रताप सिंह और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक हुई। इस बैठक में सरकार ने संगठन द्वारा जो भी मांगें रखी गईं थी, मानने से इंकार कर दिया। सरकार ने साफ कह दिया है, कि शिक्षक तभी बनाया जाएगा, जब शिक्षामित्र टीईटी पास कर लेंगे।

प्रस्ताव
1. संगठन की मांग थी कि सभी 1 लाख 70 हजार शिक्षामित्र बीए, प्लस बीटीसी का 17 वर्षों से प्राथमिक शिक्षा सेवा में सेवा दे रहे हैं। उस समय से सेवा कर रहे हैं, जब आरटी एक्ट लागू नहीं हुआ था। 23 अगस्त 2010 टीईटी लागू हुआ। न्यूनतम क्वालिफिकेशन तय करने की संस्था एनसीटी थी, एनसीटी ने कहा था कि जो भी शिक्षक इस तिथि से पूर्व बन गए हैं, उन्हें टीईटी के दायरे से बाहर रखा जाएगा। फिर उसकी बात को नजरअंदाज क्यों किया जा रहा है।

जबाव. अपर मुख्य सचिव राजा प्रताप सिंह ने कहा कि जब टीईटी पास कर लेंगे, तभी शिक्षक बनाया जाएगा, इससे पहले कुछ भी नहीं किया जा सकता है।

2. संगठन की मांग थी, कि सरकार शिक्षामित्रों के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करे।

जबाव. सरकार ऐसा कुछ भी नहीं करेगी। शिक्षामित्रों को सरकार द्वारा दिए जाने वाले वेतन पर काम करना होगा।

3. मांग रखी गई, कि सरकार टीईटी में 60 फीसद के अंकों की आर्हता को घटाकर 45 फीसद कर दे, क्योंकि शिक्षामित्र 17 साल से पढ़ा रहे हैं, पढ़ाई नहीं कर रहे।

जबाव. अंकों की इस आर्हता को 55 फीसद किया जा सकता है, इससे कम नहीं किया जा सकता है।

4. संगठन कोई नया कानून लाकर शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाने पर विचार किया जाए।

जबाव. 10 हजार के मासिक वेतन पर काम करना होगा, इससे आगे सरकार कुछ भी नहीं कर सकती है।
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