इलाहबादः प्रदेश के राजकीय इंटर कॉलेजों में 11 हजार पदों हो रही एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के आवेदनों में राज्य के विश्वविद्यालयों के 30 हजार स्टूडेंट दौड़ से बाहर हो गए हैं।
दरअसल इन छात्रों को चार साल से कोर्ट के फैसले का इंतजार है और जिससे अभी तक इनका रिजल्ट जारी नहीं हुआ है।
विश्वविद्यालयों में पेपर एवं प्रैक्टिकल होने के बावजूद छात्रों का रिजल्ट अटका हुआ है। लाखों रुपये एवं चार साल बेकार करने के बावजूद रिजल्ट जारी नहीं करने से स्टूडेंट तनाव में हैं और ये तनाव इन छात्रों को कोई आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर कर सकता हैं।
कब का हैं मामला
मामला बीएड सत्र 2013-14 का है। प्रवेश के लिए सुप्रीम कोर्ट की कटऑफ डेट और शासन के आदेशों में तय तिथि में अंतर से 30 हजार छात्रों के कॅरियर पर चार साल से ब्रेक लगे हुए हैं। हाईकोर्ट के आदेशों पर सभी विश्वविद्यालयों ने सीधे प्रवेशित छात्रों की परीक्षा एवं प्रैक्टिकल तो करा दिए, लेकिन रिजल्ट रुका हुआ है। प्रदेश भर से रिजल्ट जारी करने को छह सौ से ज्यादा छात्र हाईकोर्ट में लड़ रहे हैं। फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है।
शुक्रवार को उक्त सत्र के 30 हजार छात्रों के भाग्य पर फैसले की उम्मीद है। इसमें सर्वाधिक स्टूडेंट चौ.चरण सिंह यूनिवर्सिटी और आगरा यूनिवर्सिटी से हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में बीएड कॉलेजों में सत्र नियमित करने को प्रवेश के लिए प्रवेश की अंतिम तिथि तय कर दी थी। इसमें सरकार को सभी कॉलेजों में 16 जुलाई तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी करनी थी।
लेकिन सीटें रिक्त रहने पर तत्कालीन सरकार ने कॉलेजों में प्रवेश की अंतिम तिथि 16 अक्तूबर तय कर दी। कॉलेजों ने एंट्रेंस में शामिल छात्रों के रिक्त सीटों पर प्रवेश कर लिए। बाद में किसी ने हाईकोर्ट में रिट दायर कर 16 जुलाई के बाद हुए सभी प्रवेश को अवैध घोषित करने की मांग की।
इसी आधार पर शासन ने 16 जुलाई तक के प्रवेशित छात्रों की परीक्षा कराने के आदेश दिए। लेकिन इससे प्रदेशभर में 30 हजार छात्र अवैध हो गए। छात्र फैसले के विरुद्ध हाईकोर्ट चले गए। कोर्ट ने छात्रों की परीक्षा कराते हुए रिजल्ट रोकने के आदेश दिए। तब से यह मामला हाईकोर्ट में लंबित है।
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