लखनऊ. प्रदेश के 50 हजार
शिक्षकों पर नौकरी का संकट गहराया हुआ है। 2012 से 2018 के बीच प्राथमिक
विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों पर नौकरी का संकट मंडरा रहा है। इन
शिक्षकों की नौकरी उसके बाद सवालों के घेरे में है जिसमें हाई कोर्ट ने कहा
कि शिक्षकों की ट्रेनिंग B.Ed BTC के परिणाम के बाद आया है उनकी नियुक्ति
मान्य नहीं है।
हाईकोर्ट के आदेश के कारण 2012 के बाद
प्राथमिक विद्यालयों में हुई 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती 9770, 10800,
10000, 15000, 16448, 12664, 12407, 12407 सहायक अध्यापक भर्ती के अलावा
उच्च प्राथमिक स्कूलों के लिए विज्ञान व गणित विषय के 29334 सहायक अध्यापक
भर्ती में चयनित शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है
कि ऐसे शिक्षकों की संख्या 50,000 से अधिक है जिनका ट्रेनिंग का परिणाम
घोषित हुआ। इस आदेश का असर वर्तमान में चल रही 68500 सहायक शिक्षक भर्ती पर
पड़ेगा। बता दें कि 30 मई को हाई कोर्ट द्वारा बेसिक शिक्षा अधिकारियों को
यह आदेश दिया गया था कि जिन शिक्षकों के प्रशिक्षण का परिणाम उनके TET
रिजल्ट के बाद आया है उनका चयन निरस्त कर दें । हालांकि इस मामले पर अब तक
सरकार ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है ।
सुप्रीम कोर्ट का रूख करेंगे शिक्षक
इससे प्रभावित शिक्षकों ने हाईकोर्ट के
आदेश बाद अब सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिये एक
टीम दिल्ली पहुंच चुकी है। चयनित शिक्षकों का तर्क है कि उत्तर प्रदेश
शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी) के लिए 4 अक्तूबर 2011 और 15 मई 2013
को जारी शासनादेश में इस बात का जिक्र नहीं था कि जिनके प्रशिक्षण का
परिणाम टीईटी के बाद आएगा उन्हें टीईटी का प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा।