मूल स्कूल में तैनाती से शिक्षामित्रों को राहत

अमरोहा : शिक्षामित्रों से सहायक अध्यापक बनने के बाद फिर से शिक्षामित्र पद पर लौटे अध्यापकों को सरकार ने थोड़ी राहत दी है। सरकार ने जनपद के 737 शिक्षामित्रों को मूल स्कूल में कार्यभार ग्रहण करने का आदेश दिये हैं। साथ ही अपनी इच्छा से उसी स्कूल में रहने की भी छूट दी गयी है। इससे शिक्षामित्रों ने थोड़ी राहत की सांस ली है।

गौरतलब है कि तत्कालीन सपा सरकार ने स्नातक उत्तीर्ण शिक्षामित्रों को दो वर्षीय बीटीसी के बाद सहायक अध्यापक बना दिया था। अगस्त 2014 व मई 2015 में दो चरणों मे सहायक अध्यापक बनने पर शिक्षामित्रों ने खुशी से कार्यभार ग्रहण किया। 12 सितम्बर 2015 को इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने सरकार के फैसले को नियम विरुद्ध बताते हुए शिक्षामित्रों के समायोजन को रद्द कर दिया था। शिक्षामित्रों ने इस फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सर्वोच्च अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे दे दिया था। सुनवाई के बाद 25 जुलाई 2017 को सर्वोच्च अदालत ने शिक्षामित्र से सहायक अध्यापक के पद पर हुई नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। तब से शिक्षामित्र समायोजित स्कूलों में सहायक अध्यापक के पद पर कार्य न करके शिक्षामित्र पद पर कार्यरत हैं।

शिक्षामित्र से सहायक अध्यापक बनने के बाद उनका स्थानान्तरण कर उन्हें अलग-अलग स्कूलों में भेज दिया गया था। शिक्षामित्रों को समायोजन वाले स्कूल में शिक्षण कार्य के लिए आने जाने में सौ से दौ सौ किलोमीटर दूरी प्रतिदिन तय करनी पड़ती थी। शिक्षामित्र संगठन मूल स्कूल में वापसी समेत कई मांगों को लेकर लखनऊ व दिल्ली में धरना प्रदर्शन कर रहे थे। 19 जुलाई को प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को उनके मूल विद्यालय में भेजने के आदेश जारी कर दिए। इस फैसले से शिक्षामित्रों ने थोड़ी राहत महसूस की है। शिक्षामित्रों को उनके मूल विद्यालय में कार्यभार ग्रहण करने का आदेश मिला है। जनपद के सभी खण्ड शिक्षा अधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि वह 737 शिक्षामित्रों को मूल विद्यालय में कार्यभार ग्रहण कराकर उन्हें तत्काल अवगत कराएं।
गौतम प्रसाद, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।
शिक्षामित्रों का समायोजन दूसरे स्कूलों मे स्थाई शिक्षक के रूप में हुआ था परन्तु अब उनका सब कुछ लुट चुका है। शिक्षक का पद, रोजगार और मान सम्मान भी छिन गया। अब प्रत्येक शिक्षामित्र मायूस है। मूल विद्यालय में तैनाती से कुछ राहत मिलेगी।

अरुण कुमार शर्मा, जिलाध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षामित्र संघ।
भाजपा सरकार चाहे तो शिक्षामित्रों का मान सम्मान व पद सब कुछ लौटा सकती है। इतनी कम पगार में परिवार का खर्च चलाना समझ से परे है। मूल स्कूल वापसी समस्या का समाधान नहीं है। हक के लिए संघर्ष जारी रहेगा।

फारूख अहमद मंसूरी, जिलाध्यक्ष, आदर्श समायोजित शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन।
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