*साथियों नमस्कार*।📢📢
*मै रिजवान अंसारी ,,हाज़िर हूँ आप सब के बीच जजमेंट के कॉपी की गुप्त जानकारी के साथ*
साथियों बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि एक बार फिर सरकार की तानाशाही एवम् हस्ताच्छेप न्यायपालिका के कार्यों के देखने को मिली
साथियों आपको अवगत कराना चाहता हूं कि *सिंगिल सर्विस ss 1188/2019 मोहम्मद रिजवान अंसारी बनाम स्टेट आफ यूपी की याचिका ख़ारिज हो गया* 55 पन्ने के आदेश में जज साहब ने क्वालिटी एजुकेशन से किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिये और 07 जनवरी 19 के शासनादेश में लिखे पैरा 22 के क्लॉज (2) में उत्तरीण अभ्यर्थियों को सफल माने जाने के लिखित नोटिफिकेशन को सही मानते हुये सरकार को सिर्फ पूरे 69 हज़ार पदों के सापेक्ष 90/97 क्राइटेरिया पर ऊपर से कैटेगरी वाइज सीटों के सापेक्ष कॉउंशलिंग कराने का आदेश सुझाव में दिए है।
साथियों हम मानते हैं कि इस परीक्षा को सिर्फ अर्हता परीक्षा माना गया है लेकिन *परीक्षा के एक दिन बाद लगाए गए शासनादेश के उत्तरीणांक पर न्यायपालिका ने माना कि उनका कोई अधिकार क्षेत्र नही बनता की उस मानक को 30/33 या 40/45 कटऑफ में बदला जा सके* ,हाँ परीक्षा रद्द करने का अधिकार सिर्फ जज के पास है मगर बड़े पैमाने पर भाग लेने से इस परीक्षा को रद्द नही किया गया *माननीय न्यायालय द्वारा ,आदेश के ऑपरेटिव पार्ट में जज साहब ने यह स्वीकार किया है कि किसी भी परीक्षा के पहले एक मानक तय होना चाहिए* यद्दपि 07 जनवरी 19 के शासनादेश में कहीं न कहीं उस मानक को आगे की प्रक्रिया में लागू करने के उद्देश्य से नोटिफिकेशन में सिर्फ उत्तरीण या सफल हुये अभ्यर्थी लिखने भर से जज साहब यह मान बैठे कि इस परीक्षा का उद्देश्य केवल आगे से तय 90/97 मानकों पर सुचारूरूप से भर्ती प्रक्रिया को गतिमान किया जाए जिससे जज साहब ने बिना नोटिफिकेशन रद्द किए सिर्फ राज्य सरकार को सुझाव /डायरेक्शन दिये कि अगर सीटें रिक्त बचती हैं तो राज्य सरकार हर हाल में उन सीटों के सापेक्ष अपने अनुसार मानकों में गिरावट/परिवर्तन कर सकती है जिससे क़्वालिटी के साथ तय मानकों पर भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न हो ।
*हमें आशा ही नही बल्कि पूर्ण विश्वास है कि जीतेंगे हम ही।* क्यों जीतेंगे,,,,,ये आप सभी को बखूबी पता है।😊
*®टीम रिज़वान अंसारी।।*
(टेट सेवा समिति-उ0प्र0)
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Originally published by https://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/
*मै रिजवान अंसारी ,,हाज़िर हूँ आप सब के बीच जजमेंट के कॉपी की गुप्त जानकारी के साथ*
साथियों बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि एक बार फिर सरकार की तानाशाही एवम् हस्ताच्छेप न्यायपालिका के कार्यों के देखने को मिली
साथियों आपको अवगत कराना चाहता हूं कि *सिंगिल सर्विस ss 1188/2019 मोहम्मद रिजवान अंसारी बनाम स्टेट आफ यूपी की याचिका ख़ारिज हो गया* 55 पन्ने के आदेश में जज साहब ने क्वालिटी एजुकेशन से किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिये और 07 जनवरी 19 के शासनादेश में लिखे पैरा 22 के क्लॉज (2) में उत्तरीण अभ्यर्थियों को सफल माने जाने के लिखित नोटिफिकेशन को सही मानते हुये सरकार को सिर्फ पूरे 69 हज़ार पदों के सापेक्ष 90/97 क्राइटेरिया पर ऊपर से कैटेगरी वाइज सीटों के सापेक्ष कॉउंशलिंग कराने का आदेश सुझाव में दिए है।
साथियों हम मानते हैं कि इस परीक्षा को सिर्फ अर्हता परीक्षा माना गया है लेकिन *परीक्षा के एक दिन बाद लगाए गए शासनादेश के उत्तरीणांक पर न्यायपालिका ने माना कि उनका कोई अधिकार क्षेत्र नही बनता की उस मानक को 30/33 या 40/45 कटऑफ में बदला जा सके* ,हाँ परीक्षा रद्द करने का अधिकार सिर्फ जज के पास है मगर बड़े पैमाने पर भाग लेने से इस परीक्षा को रद्द नही किया गया *माननीय न्यायालय द्वारा ,आदेश के ऑपरेटिव पार्ट में जज साहब ने यह स्वीकार किया है कि किसी भी परीक्षा के पहले एक मानक तय होना चाहिए* यद्दपि 07 जनवरी 19 के शासनादेश में कहीं न कहीं उस मानक को आगे की प्रक्रिया में लागू करने के उद्देश्य से नोटिफिकेशन में सिर्फ उत्तरीण या सफल हुये अभ्यर्थी लिखने भर से जज साहब यह मान बैठे कि इस परीक्षा का उद्देश्य केवल आगे से तय 90/97 मानकों पर सुचारूरूप से भर्ती प्रक्रिया को गतिमान किया जाए जिससे जज साहब ने बिना नोटिफिकेशन रद्द किए सिर्फ राज्य सरकार को सुझाव /डायरेक्शन दिये कि अगर सीटें रिक्त बचती हैं तो राज्य सरकार हर हाल में उन सीटों के सापेक्ष अपने अनुसार मानकों में गिरावट/परिवर्तन कर सकती है जिससे क़्वालिटी के साथ तय मानकों पर भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न हो ।
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*हमें आशा ही नही बल्कि पूर्ण विश्वास है कि जीतेंगे हम ही।* क्यों जीतेंगे,,,,,ये आप सभी को बखूबी पता है।😊
*®टीम रिज़वान अंसारी।।*
(टेट सेवा समिति-उ0प्र0)
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